मोहाली 30 दिसंबर (गीता)। विद्युत मंत्रालय के प्रशासनिक नेतृत्व में सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) के संयुक्त उद्यम के रूप में संचालित एनर्जी इफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) ने केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में आंगनवाड़ी कार्यकताओं, चाइल्ड केयर सेंटर्स और मोनेस्ट्रीज को 2000 इंडक्शन कुकस्टोव प्रदान करने की घोषणा की है। लद्दाख पावर डेवलपमेंट डिपार्टमेंट (एलएपीडीडी) के सहयोग और ब्यूरो ऑफ एनर्जी इफिशिएंसी द्वारा आवंटित फंड की मदद से ईईएसएल के नेशनल इफिशिएंट कुकिंग प्रोग्राम (एनईसीपी) के तहत खाना पकाने के लिए कम ऊर्जा खपत वाले (एनर्जी इफिशिएंट), स्वच्छ एवं सुरक्षित माध्यम को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अगले 15 से 20 दिन में इस पहल को पूरा कर लिया जाएगा।
भारत पारंपरिक रूप से खाना पकाने के लिए बायोमास आधारित ईंधन पर निर्भर रहा है, जो लोगों के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण दोनों पर भारी पड़ता है। इसके अतिरिक्त, एक उल्लेखनीय बात यह भी है कि भविष्य में भारत में ऊर्जा की 60 प्रतिशत मांग कुकिंग सेक्टर से ही निकलने का अनुमान है। इसे देखते हुए पर्यावरण के अनुकूल एवं कम ऊर्जा की खपत वाले (एनर्जी इफिशिएंट) कुकिंग सॉल्यूशन तलाशना और भी महत्वपूर्ण हो गया है। इसी चुनौती को देखते हुए ईईएसएल ने नेशनल इफिशिएंट कुकिंग प्रोग्राम (एनईसीपी) लॉन्च किया है। इसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर इंडक्शन कुकस्टोव के प्रयोग को बढ़ावा देना है। खाना पकाने के पारंपरिक तरीकों की तुलना में इंडक्शन कुकस्टोव से 25 से 30 प्रतिशत तक लागत कम होती है। इस इनोवेटिव एप्रोच से न केवल खाना पकाने के पारपंरिक तरीकों से होने वाले हानिकारक उत्सर्जन के कारण आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की सेहत पर मंडराने वाला खतरा कम होगा, बल्कि इससे काम का सुरक्षित एवं स्वस्थ माहौल भी सुनिश्चित होगा। इसके साथ-साथ यह पहल खाना पकाने के लिए पर्यावरण एवं स्वास्थ्य के अनुकूल तरीकों को अपनाने पर भी जोर देती है।
ईईएसएल के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर विशाल कपूर ने कहा कि ईईएसएल में पर्यावरण के अनुकूल समाधानों के माध्यम से समाज को सशक्त करने की हमारी प्रतिबद्धता अटूट है। इंडक्शन कुकस्टोव के वितरण के साथ हमारा उद्देश्य अत्याधुनिक एवं एनर्जी इफिशिएंट टेक्नोलॉजी के माध्यम से खाना पकाने के तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव लाना है। लद्दाख में यह पहल पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने के हमारे अथक प्रयासों का प्रमाण है। इससे न केवल हमारा वर्तमान स्वच्छ एवं स्वस्थ होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए ज्यादा हरित एवं पर्यावरण के अनुकूल भविष्य भी सुनिश्चित होगा।