किसानों, एससी, बीसी समुदाय और पंजाब सरकार के साथ हुए अरबों रुपये के घोटाले का पर्दाफाश

By Firmediac news Aug 2, 2023
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शहरों का पर्यावरण बिगाड़कर सरकार को अरबों रुपये का चूना लगाने का प्रकरण जारी: सतनाम सिंह दाउं

मोहाली 2 अगस्त (गीता)। गमाडा ने नकली अमरूद के बागानों की तर्ज पर शहरी विकास के लिए जमीनों के नाम असली किसानों के नाम कर दिए हैं। शहीद भगत सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास गमाडा प्रोजेक्ट में अधिकारियों और राजनेताओं से मिले डीलरों और राजनेताओं की जमीन को शामिल गांव बाकरपुर के एट्रोपोलिस प्रोजेक्ट के नाम करके उन साहूकारों को सैकड़ों करोड़ रुपये दिए गए हैं। जिसके कारण पंजाब सरकार के खजाने को भारी नुकसान हुआ है और शहरी विकास के दृष्टिकोण को बाधित करते हुए परियोजना मानचित्र भी बदल दिए गए हैं।
उपरोक्त आरोप आज पंजाब अग्रेंस्ट करप्शन पंजाब प्रधान सतनाम सिंह दाउं और भारतीय किसान यूनियन नेता भूपिंदर से मान ने मीडिया के सामने लगाए ।
यूनियन नेताओं ने कहा कि पिछले एक दशक में गमाडा ने शहरी विकास के लिए गांवों की जो जमीनें अधिग्रहीत की हैं, उनमें एक किला जमीन (4840 गज) में से 200 गज कमर्शियल और 1000 गज रिहायशी प्लॉट या 2 करोड़ 20 लाख रुपये देने होंगे। इसके लिए गमाडा द्वारा जमीन अधिग्रहण के नोटिस के बाद लोगों को खेती करने से रोक दिया जाता है, जिससे गमाडा को जमीन देने वाले लोग पूरी तरह से बेरोजगार हो जाते हैं और वे कोई भी फसल या जानवरों के लिए चारा नहीं उगा पाते हैं। यह योजना करीब 5 साल पहले लागू की गई थी और अब तक केवल जमीन खोने वाले लोगों को एलओआई लेटर ही दिए गए हैं। जबकि बदले में उन्हें पैसे के नाम पर किसी भी प्लॉट या पैसे पर कब्जा नहीं मिला है।
दूसरी ओर, गमाडा अधिकारियों ने मिलीभगत कर किसानों को एक एकड़ (4840 गज) में से केवल 1200 गज जमीन देने के लिए दबाव डाला, जिनमें से केवल एलओआई लेटर ही जारी किए गए हैं। लेकिन जिन धनी व्यक्तियों ने परियोजना शुरू होने से पहले किसानों से जमीन खरीदी थी, उन्होंने उनके लिए 1200 गज के बजाय कुल 4840 गज जमीन छोड़ दी। इस हेतु परियोजना मानचित्रों में परिवर्तन कर उन्हें लाभान्वित किया गया तथा शहरी विकास का स्वरूप बिगाड़ दिया गया। जिससे पंजाब सरकार के सरकारी खजाने को अरबों रुपये का नुकसान हुआ है।
उन्होंने कहा कि शहीद भगत सिंह हवाई अड्डे के बिल्कुल करीब मुख्य सड़क पर दोबारा मैप करके छोड़ी गई। इस 23 एकड़ जमीन में दिल्ली भाजपा के एक सिख नेता के लोगों ने 5 सितारा होटल बनाने की योजना का शोर मचाया है। इसके अलावा गांव के कुछ अन्य रसूखदारों ने लाल रेखा के पास 18 एकड़ जमीन छोड़ दी है और इन छोड़ी गई जमीनों की आड़ में 4 लोगों ने हाई कोर्ट से करीब 23 एकड़ जमीन अपने पक्ष में करा ली है. जिसके चलते अकेले बाकरपुर गांव में करीब 60 एकड़ जमीन घोटाले की भेंट चढ़ गई है।
बाकरपुर के अलावा सोहाना, लाखनौर, लौंदरान और चप्पड़चिड़ी आदि गांवों (सेक्टर 77, 78, 88, 89, 90, 91, 93 और 94 आदि) की जमीनें रसूखदारों के लिए छोड़ दी गई हैं या कोर्ट में केस चल रहा है। गमाडा की मिलीभगत है। जमीनों पर रसूखदारों का कब्जा है, जिनकी मदद से बाकरपुर की तर्ज पर अवैध निर्माण होंगे। जिससे शहरी विकास की स्थिति खराब होगी और सरकारी खजाने को अरबों रुपये का नुकसान हो रहा है।
कोरोना काल में इसी गांव बाकरपुर में दलित समुदाय के कई दर्जन घरों को बुलडोजर से तोड़ दिया गया और वे अब मजबुरान गांव छोड़ चुके हैं. गमाडा द्वारा अवैध कब्जे हटाने का नाटक करके सरकार का ध्यान आकर्षित करने और साहूकारों को खुश करने के लिए जाति आधारित भेदभाव और रिश्वत लेने का चलन है, जिसका ताजा उदाहरण बाकरपुर गांव के 32 निर्माणों से भी मिलता है, जिनको नियमित करने के लिए गमाडा ने आवेदन और फीस तो ले ली, लेकिन गरीब दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों के पास कोई बड़ी आय नहीं थी और वे नकली अमरूद के बागानों के पैसे नहीं ले सकते थे। क्योंकि वे गमाडा अधिकारियों को रिश्वत नहीं दे सकते थे और पत्तियां नहीं बांट सकते थे, इसलिए उनके घरों को चुन-चुन कर तोड़ दिया गया और सामान्य वर्ग के घरों को छोड़ दिया गया और एससी, बीसी परिवारों के घरों को जाति के आधार पर तोड़ दिया गया। जिसके कारण कुछ परिवारों को मजबूर किया गया।
गौरतलब है कि यह सब सरकार के बड़े पदों पर बैठे नेताओं की नाक के नीचे हुआ है और राज्य सरकार और केंद्र सरकार को इसकी जानकारी न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। उपस्थित वक्ताओं ने उपरोक्त सभी सबूत और गवाह मीडिया के सामने पेश किए और भगवंत मान सरकार से मांग की कि गमाडा ने दशकों से लोगों से जमीन अधिग्रहण कर एक एकड़ के बदले 1200 गज जमीन देने के लिए हजारों किसानों को एलओआई लेटर दिए हैं। लेकिन आज तक उन सेक्टरों का विकास और कब्जा नहीं किया गया है, जिसके कारण दिए गए एलओआई पत्र केवल कागजों पर हैं।

 

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