गुलशन कुमार के परिवार को 31 साल बाद न्याय मिला दोनों पुलिसकर्मियों को दंडित किया गया

By Firmediac news Jun 7, 2024
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मोहाली 7 जून । जिला मोहाली सीबीआइ की विशेष अदालत ने साल 1993 में फर्जी पुलिस मुठभेड़ में गुलशन कुमार की मौत और उनके शव का अंतिम संस्कार करने के मामले में दो पुलिस अधिकारियों को सजा सुनाई है। सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश राकेश कुमार गुप्ता की अदालत की ओर से पूर्व डीआइजी दिलबाग सिंह को 7 साल की कैद और 50 हजार जुर्माने की सजा सुनाई गई है और पूर्व डीएसपी गुरबचन सिंह को उम्रकैद के साथ 2 लाख रुपये की सजा सुनाई गई है।
सीबीआई की विशेष अदालत ने पूर्व डीआइजी दिलबाग सिंह को धारा 302, 364, 218 और पूर्व डीएसपी गुरबचन सिंह को धारा 364 के तहत दोषी करार दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक यह मामला सीबीआइ ने चमन लाल की शिकायत पर दर्ज किया था। शिकायतकर्ता के अनुसार, उन्हें और उनके बेटों परवीन कुमार, बॉबी कुमार और गुलशन कुमार को 22-06-1993 को तत्कालीन डीएसपी दिलबाग सिंह और एसएचओ सिटी तरनतारन गुरबचन सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस पार्टी ने गिरफ्तार किया था कुछ दिनों के बाद गुलशन कुमार को छोड़ कर बाकी सभी को पुलिस ने रिहा कर दिया।
चमनलाल ने आरोप लगाया था कि गुलशन कुमार (जो एक सब्जी विक्रेता था) पुलिस स्टेशन सिटी तरनतारन में कानूनी हिरासत में रहा और फिर 22.7.1993 को उसे तीन अन्य व्यक्तियों के साथ फर्जी पुलिस मुठभेड़ में मार दिया गया और उसका शव नहीं सौंपा गया। पुलिस ने शव को लावारिस मानकर अंतिम संस्कार कर दिया। पंजाब पुलिस द्वारा लावारिस शवों का सामूहिक दाह संस्कार करने के संबंध में उच्चतम न्यायालय के आदेश दिनांक 15.11.1995 के अनुसरण में 28.2.1997 सीबीआइ ने पूर्व डीएसपी दिलबाग सिंह व अन्य के खिलाफ अपहरण, अवैध हिरासत में रखने का मामला दर्ज कराया था। फर्जी पुलिस मुठभेड़ में गुलशन कुमार की हत्या के संबंध में 7.5.1999 को जांच पूरी करने के बाद, जिला तरनतारन के पुलिस अधिकारियों ने डी. एस पी दिलबाग सिंह, इंस्पेक्टर गुरबचन सिंह, ए. एस आइ अर्जुन सिंह, ए. एसआइ दविंदर सिंह और ए. एस आई. बलबीर सिंह के विरूद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया, परन्तु विचारण के दौरान अभियुक्तगण अर्जुन सिंह, दविन्दर सिंह तथा बलबीर सिंह की मृत्यु हो गयी तथा उनके विरूद्ध कार्यवाही समाप्त कर दी गयी।

 

 

 

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