मोहाली 4 जुलाई गीता। अपनी वैश्विक पहलों को जारी रखते हुए चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, घड़ूआं ने 1 जुलाई, 2024 से 10 जुलाई, 2024 तक चलने वाले बहुप्रतीक्षित 10 दिवसीय 8वें इंटरनेशनल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का भव्य शुभारम्भ किया। इंटरनेशनल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के 8वें संस्करण के उद्घाटन सत्र में 32 देशों के 90 से अधिक शीर्ष रैंक वाले विश्वविद्यालयों के 130 से अधिक शिक्षाविद ऑफलाइन (व्यक्तिगत रूप से) तथा ऑनलाइन (वर्चुअल) मोड़ से कार्यक्रम में भाग लेंगे।
आईएफडीपी के उद्घाटन दिवस वैश्विक शिक्षाविदों को समन्वयित करना पर केंद्रित रहा। आर्किटेक्चर कौंसिल के अध्यक्ष प्रो. एआर. अभय विनायक पुरोहित, प्रो. अन्ना ओरचोवस्का, प्रो. कटारजीना जिलोन्को-जंग, और प्रो. पॉलिना डच-जेब्रोस्का – ग्दान्स्क यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी 2024 पोलैंड, पर्मा विश्वविद्यालय से प्रो. (डॉ.) मार्को मारेटो, स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर, फाइन आर्ट्स एंड डिजाइन, सैन कार्लोस विश्वविद्यालय, फिलीपींस के डीन प्रो. (डॉ.) एड्रियन पेरेज डेल मोंटे, सैपिएन्जा विश्वविद्यालय, इटली(रोम) प्रो. (डॉ.) पाओलो कार्लोटी ने शिक्षा में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और नवाचार के महत्व पर जोर देते हुए अपने विचार साझा किए। अपने विचारों के द्वारा प्रतिष्ठित वक्ताओं ने वैश्विक शिक्षा के भविष्य पर चर्चा की, शिक्षा में अंतर्राष्ट्रीय तालमेल तथा अग्रणी नवाचार की आवश्यकता पर जोर दिया। 10 दिवसीय आईएफडीपी कार्यक्रम में अमेरिका, ईरान, यूएई, ओमान, मलेशिया, बांग्लादेश, इथियोपिया, किर्गिज गणराज्य, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, ईरान, पोलैंड, युगांडा, कनाडा, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात, रूस, सहित 32 देशों के वरिष्ठ एवं दिग्गज शिक्षाविदों ने भाग लगा। भारत के सबसे बड़े 8वें इंटरनेशनल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के अवसर पर सभी प्रतिष्ठित अतिथियों, सम्मानित हस्तियों का स्वागत करते हुए राज्यसभा सांसद तथा चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर सतनाम सिंह संधू ने कहा, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी का उद्देश्य विश्व स्तरीय मानक की शिक्षा प्रदान करना और समाज की सेवा के लिए व्यवसायिक एवं कुशल अग्रणी तैयार करना है। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के लिए यह गर्व कि बात है कि आज हम इंटरनेशनल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के 8वें संस्करण के लिए यहां उपस्थित है। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी अत्यंत गर्वित है कि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष 32 देशों के 90 से अधिक देशों के विश्वविद्यालयों से 130 से अधिक शिक्षाविद तथा विशेषज्ञ इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं।