मोहाली 17 सितंबर । साल 1984 के पीडित लोगों की ओर से मोहाली के चप्पडचिडी में मकान बनाने के लिए खरीदी गई जमीन की सीएलयू न मिलने के चलते पीडितों की ओर से अब सरकार और खास करके गमाडा के जिम्मेवार अधिकारियों के खिलाफ संघर्ष करने का रास्ता अख्तियार करने का मन बना लिया है। इतना ही नहीं सोसाइटी के सदस्यों व पदाधिकारियों का दावा है कि यदि गमाडा ने एक महीने के भीतर उनकी को-ऑपरेटिव सोसाइटी की सीएलयू जारी न की गई तो वह आर-पार की लडाई लडने के लिए मजबूर हो जाएंगें और इसकी जिम्मेदारी गमाडा व मौजूदा पंजाब सरकार की होगी।
उपरोक्त विचार आज द मदनपुर को-ऑप हाउस बिल्डिंग सोसाइटी लिमिटेड रजिस्टर्ड मोहाली के पदाधिकारी जिसमें अध्यक्ष जसबीर सिंह कल्सी,उपाध्यक्ष वरजिंदर कौर,महासचिव गुरदीप सिंह,कोषाध्यक्ष आरएस चंडोक,आर पी सिंह विज,आशा जोशी,स्पोक्सपर्सन जसपाल सिंह भाटियां ने मोहाली में आयोजित प्रैसवार्ता के दौरान दी। इसके मौके पर सोसाइटी के अन्य सदस्य उपस्थित थे।
उन्होने कहा कि यह सोसायटी 1984 में दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में हुए सिख विरोधी दंगों के बाद अस्तित्व में आई थी। सोसायटी के 1083 सदस्य हैं और सोसायटी ने सरकार की किसी सहायता के बिना मोहाली के चप्पडचिडी खुर्द और चप्परचिडी कलां में अपनी जमीन खरीदी।
उन्होंने कहा कि साल 1986 से 2020 तक पहले के प्रबंधन ने सदस्यों के घरों के लिए भूमि विकसित करने में कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई, इसलिए उन्होंने कभी भी पुडा या गमाडा के साथ सीएलयू के लिए आवेदन नहीं किया।
सोसाइटी पदाधिकारी ने कहा कि फरवरी 2020 में कार्यभार संभाला और सदस्यों के कल्याण के लिए जी-जान से काम कर रहा है और गमाडा से सीएलयू प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। कोविड अवधि के बाद प्रबंधन ने जुलाई 2022 में सीएलयू के लिए आवेदन किया, लेकिन गमाडा अधिकारियों की ओर से एक के बाद एक बार-बार अस्वीकृति और आपत्तियों की शातिर प्रक्रिया ने हमें परेशान कर रखा है, लेकिन सीएलयू नहीं दिया जा रहा है। फाइल को लंबे समय तक टेबल पर लंबित रखा जाता है और बार-बार फॉलोअप करने पर वे कुछ दस्तावेजों की मांग करते हैं या आपत्तियां उठाते हैं। हमने पंजाब के सीएम भगवंत मान जी से मिलने का समय लेने की बहुत कोशिश की, जिनके पास गमाडा का एक पोर्टफोलियो है, ताकि हम उनसे हस्तक्षेप करने और मदद करने का अनुरोध कर सकें, लेकिन कभी समय नहीं मिला। हमने सीएम पंजाब को ओएसडी साहिबान और ईमेल के माध्यम से सहायक दस्तावेजों के साथ बार-बार अनुरोध पत्र भेजे। पीडितों ने आरोप लगाते हुए कहा कि नौ महीने बाद भी एक पत्र एसटीपी कार्यालय में बिना किसी परिणाम के लटका हुआ है।
उन्होंने कहा िक वे प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हम एक बार फिर सीएम सर से मिलने का समय मांगते हैं ताकि उनसे उनके 1083 परिवारों की मदद करने का अनुरोध किया जा सके ताकि वे पंजाब राज्य में वे अपनी जमीन पर अपने सपनों का घर बना सकें। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार राज्य में हजारों अवैध कॉलोनियों को बार-बार मंजूरी देती हैं, तो हम कानून का पालन करने वाले नागरिक जिन्होंने कभी कोई अवैध इमारत नहीं बनाई है वह पीड़ित क्यों हैं?