अमरूद बाग मुआवजा घोटाला रू विजीलैंस द्वारा खरड़ की बागबानी विकास अधिकारी वैशाली गिरफ्तार
बहु-करोड़पति घोटाले में 17वीं गिरफ्तारी
मोहाली 21 जून (गीता)। पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने अमरूदों के बागों के मुआवजे में हुए घोटाले सम्बन्धी आज बागबानी विकास अधिकारी (एच. डी. ओ.), खरड़ वैशाली को गिरफ्तार किया है। जिक्रयोग्य है कि इस बहु-करोड़पति घोटाले में विजीलैंस द्वारा आज यह 17वीं गिरफ्तारी की गई है।
यह जानकारी सांझा करते हुये बुधवार को विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने दी; उन्होने बताया कि ग्रेटर मोहाली एरिया डिवैलपमैंट अथॉरिटी (गमाडा) की तरफ से एयरपोर्ट रोड, मोहाली के नजदीक ऐरोट्रोपोलिस प्रोजैक्ट के लिए जमीन का अधिग्रहण किया गया था। इस प्रोजैक्ट के लिए अधिग्रहीत की गयी जमीन का मुआवजा गमाडा की लैंड पूलिंग नीति अनुसार दिया जाना था।
उन्होंने कहा कि उक्त जमीन में लगे फलों अमरूद के वृक्षों की कीमत जमीन की कीमत से अलग तौर पर अदा की जानी थी और फलदार वृक्षों की कीमत बागबानी विभाग की तरफ से निर्धारित की जानी थी। इसके बाद जमीन ग्रहण कुलैकटर (एल. ए. सी.), गमाडा ने फलदार वृक्षों वाली जमीन की एक सर्वेक्षण सूची डायरैक्टर बागबानी को भेज कर वृक्षों का मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करने की विनती की।
प्रवक्ता ने आगे बताया कि सबसे पहले ’पाकेट ए’(गाँव बाकरपुर) के मूल्यांकन का काम डिप्टी डायरैक्टर, मोहाली की तरफ से जसप्रीत सिंह सिद्धू, एच. डी. ओ. डेराबस्सी को सौंपा गया जबकि यह क्षेत्र एच. डी. ओ. खरड़ वैशाली के अधिकार क्षेत्र में आता था। जसप्रीत सिद्धू ने अपनी रिपोर्ट में श्रेणी 1 और 2 के 2500 पौधे प्रति एकड़ के हिसाब से दर्शाऐ। इस अनुसार अदायगियाँ जारी करने के लिए यह रिपोर्ट आगे एल. ए. सी., गमाडा को भेजी गई। इसके बाद जमीन के कुछ मालिकों ने आवेदन दायर किया कि उनके पौधों का सही मूल्यांकन नहीं किया गया और उन्होंने अधिक मुआवजे का दावा किया। इन आवेदनों के आधार पर डायरैक्टर बागबानी ने इस रिपोर्ट की तस्दीक के लिए राज्य स्तरीय कमेटी का गठन किया, जिसमें दो सहायक डायरैक्टर और दो एच. डी. ओ. को शामिल किया गया। इस कमेटी ने पौधों की स्थिति और उपज के हिसाब के साथ फिर मूल्यांकन करने का सुझाव दिया। इसके बाद, ’पाकेट ए’ के मूल्यांकन का काम एच. डी. ओ. खरड़ वैशाली को दिया गया, जिन्होंने अपनी रिपोर्ट पेश की, जो लगभग पहली रिपोर्ट के साथ ही मिलती-जुलती थी, जिसमें ज्यादातर पौधों को फल देने के लिए तैयार (4-5 साल की उम्र) होने के रूप में दर्शाया गया जिससे लाभार्थियों को अधिकतम मुआवजा दिया जा सके।
वैशाली की रिपोर्ट के आधार पर तकरीबन 145 करोड़ रुपए मुआवजा जारी किया गया। प्रवक्ता ने बताया कि इस मामले में एफ. आई. आर. दर्ज होने बाद वैशाली फरार हो गई और सैशन कोर्ट, मोहाली द्वारा उसकी आगामी जमानत खारजि कर दी गई थी। इसके इलावा उसकी जमानत पटीशन हाई कोर्ट में पैंडिंग थी और उसमें भी उसे कोई अंतरिम राहत नहीं मिली। प्रवक्ता ने बताया कि इस मामले में बागबानी विभाग के अन्य अधिकारियों की भूमिका का पता लगाने के लिए आगे जांच जारी है।