किडनी फेल, लिवर फेल, कैंसर व हृदय संबंधी समस्याओं का समाधान संभवः आचार्य मनीष

By Firmediac news Jul 26, 2023
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मोहाली 26 जुलाई (गीता)। हाल ही में उत्तर भारत का एक महासम्मेलन – लाइलाज रोगों के सफल इलाज के प्रमाण नाम से आयोजित किया गया। इसका आयोजन हॉस्पिटल एंड इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटेड मेडिकल साइंसेज (हिम्स) समूह के तत्वावधान में किया गया था, जिसका मुख्य अस्पताल चंडीगढ़ के निकट मोहाली जिले में स्थित है। हिम्स के संस्थापक, आयुर्वेद व ध्यान गुरु आचार्य मनीष तथा डॉ. बिस्वरूप रॉय चैधरी ने सम्मेलन में कहा कि हिम्स विशेषज्ञों द्वारा लिवर, किडनी, हृदय और यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा, होम्योपैथी, एलोपैथी आदि प्रणालियों के साथ आयुर्वेद-आधारित वैज्ञानिक उपचार प्रोटोकॉल अस्पताल में लागू किए गए हैं।
आचार्य मनीष ने कहा, हिम्स में, हम शरीर की आंतरिक शक्ति को बढ़ाकर किडनी, कैंसर, लिवर, शुगर, ब्लड प्रेशर, थैलेसीमिया और हृदय रोगों को ठीक करते हैं। हम एक ही छत के नीचे विभिन्न चिकित्सा विज्ञानों की खूबियों और उपचार क्षमता का प्रयोग करते हैं। यहां बीमारियों का इलाज आयुर्वेद, एलोपैथी, यूनानी, प्राकृतिक चिकित्सा और होम्योपैथी जैसी विविध थेरेपी के जरिए किया जाता है। विभिन्न चिकित्सा विज्ञानों की अलग-अलग विशिष्टताएं हैं और हिम्स बीमारियों के मूल कारण को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ प्रत्येक थेरेपी की सर्वोत्तम क्षमता का उपयोग करता है। डॉ. बिस्वरूप रॉय चैधरी ने कहा, ष्हिम्स में, सही इलाज और रिकवरी के लिए रोगियों को मोटे अनाज (मिलेट) और जड़ी-बूटियों के मेल से तैयार भोजन परोसा जाता है। हिम्स में पोस्चुरल थेरेपी का उपयोग होता है जिससे 70 प्रतिशत रोगियों की डायलिसिस तत्काल बंद हो जाती है और 100 प्रतिशत उच्च रक्तचाप पीड़ित बिना किसी दवा के तुरंत अपने बीपी को नियंत्रित कर सकते हैं।
सम्मेलन में चिकित्सा पेशेवरों, शोधकर्ताओं और रोगियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में ऐसे रोगियों ने अपने ठीक होने के आश्चर्यजनक किस्से सुनाए जो किडनी और लिवर की विफलता जैसी लाइलाज बीमारियों से पीड़ित थे। कार्यक्रम के दौरान, दर्जनों ऐसे रोगियों ने अपने नए जीवन की कहानियां दर्शकों के साथ साझा कीं, जो गंभीर बीमारियों से सफलतापूर्वक बाहर आ चुके हैं। साक्ष्य के रूप में उन्होंने अपनी मेडिकल रिपोर्ट भी प्रस्तुत कीं। ऐसे ही एक मरीज, पठान अब्दुल गफूर, जो पहले बड़ौदा के एक निजी अस्पताल में इलाज करवा चुके थे, ने कहा कि उन्हें हर हफ्ते 2-3 डायलिसिस सहने पड़ते थे। हालांकि, आचार्य मनीष और डॉ. बिस्वरूप रॉय चैधरी की नवीन एप्रोच के माध्यम से, गफूर के स्वास्थ्य में अप्रत्याशित सुधार हुआ और उन्होंने पहले बताए गए तमाम डरों और चिंताओं पर विजय प्राप्त कर ली। उल्लेखनीय है कि हिम्स पहला एकीकृत अस्पताल है जो अपने मरीजों के इलाज के लिए आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, होम्योपैथी और आहार चिकित्सा का उपयोग करता है।
सम्मेलन आशा के साथ संपन्न हुआ, क्योंकि उल्लेखनीय रिकवरी और अभूतपूर्व एप्रोच ने न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में अनगिनत रोगियों के लिए नई संभावनाएं पेश कीं हैं। आचार्य मनीष ने संक्षेप में कहा, ष्कार्यक्रम के दौरान प्रस्तुत शोध से चिकित्सा उपचार के भविष्य को आकार देने की उम्मीद की जाती है, जो जरूरतमंद लोगों के लिए आशा के नए मार्ग प्रशस्त करेगा।

 

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