मोहाली 20 नवंबर (गीता)। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में उत्तर भारत के 18 किसान संगठनों द्वारा सरकार के खिलाफ दिए जा रहे धरने की श्रृंखला में आज किसान यूनियन सिद्धुपुर ने यूनियन के राज्य प्रेस सचिव से मुलाकात की। मेहर सिंह थेड़ी और जिला अध्यक्ष रविंदर सिंह के नेतृत्व में डीसी मोहाली कार्यालय के सामने धरना दिया गया और पंजाब सरकार से मांग की गई कि किसान को अन्नदाता कहा जाता है,उनको जुर्माने करना और विभिन्न दंड लगा कर उन्हें असामाजिक न बनाया जाए।
इस संबंध में यूनियन नेताओं ने डीसी श्रीमती आशिका जैन को एक मांग पत्र भी दिया । मांग पत्र में कहा गया है कि सरकार पराली जलाने के मामलों में किसानों के खिलाफ कार्रवाई बंद करे । पत्र में कहा गया है कि पराली प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा दिए जाने वाले बेलर और किसानों को सब्सिडी पर दी जाने वाली मशीनरी भी पराली प्रबंधन के लिए बहुत कम है और सरकार खुद इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है । मांग पत्र में कहा गया है कि ग्रीन ट्रिब्यूनल और माननीय न्यायालय के फैसले के अनुसार, सरकार किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल बोनस या पराली प्रबंधन मुआवजा या कोई वित्तीय सहायता नहीं देती है।
किसान नेताओं ने कहा कि पंजाब में अधिकतर छोटे किसान हैं और छोटे किसानों के पास छोटे ट्रैक्टर हैं। ये किसान न तो बड़ी पराली प्रबंधन मशीनें खरीद सकते हैं और न ही चला सकते हैं। वे इसे केवल किराये पर ले सकते हैं जबकि सरकार केवल मशीनरी की लागत पर मदद करती है। उन्होंने कहा कि छोटे किसान इतना खर्च वहन नहीं कर सकते । इसके अलावा सहकारी समितियों द्वारा इस मशीनरी को खरीदने के लिए सरकार के पास पैसे जमा कराने के बावजूद उन्हें मशीनरी उपलब्ध नहीं कराई गई । उन्होंने कहा कि बाढ़ के कारण किसानों की जमीन भी बर्बाद हो गई और मोहाली जिले के डेराबसी -लालडू इलाके में कई गांवों की फसल सहित जमीन बह गई और किसान पूरी तरह से बर्बाद हो गए । नेताओं ने कहा कि सरकार कह रही थी कि मृत मुर्गे-बकरियों का मुआवजा देगी, लेकिन किसानों को मात्र पांच एकड़ का मुआवजा 6800 रुपये प्रति एकड़ की दर से मिल रहा है । कम से कम सूखी जमीनों के मालिकों को, जो गेहूं की फसल भी नहीं उगा सकते, अधिक मुआवजा दिया जाना चाहिए ताकि किसान अपने जीवन का पुनर्निर्माण कर सकें और भूमि में सुधार कर सकें।
मांग पत्र में कहा गया है कि जब सरकार खुद अपने प्रयासों में विफल हो गई है तो किसानों को क्यों परेशान किया जा रहा है । पत्र में मांग की गई है कि किसानों पर किए गए पर्चे, जुर्माना और लाल प्रविष्टियां वापस की जाएं । पत्र में कहा गया है कि यह सब जानते हुए भी अगर सरकार ने किसानों को परेशान करना बंद नहीं किया तो संयुक्त किसान मोर्चा, किसान यूनियन सिद्धुपुर और उत्तर भारत की 18 किसान यूनियनें सरकार के खिलाफ संघर्ष करने को मजबूर होंगी, जिम्मेदारी सरकार की होगी । इस मौके पर बहादुर सिंह नियामियां, हकीकत सिंह घडूआं, जसविंदर सिंह टिवाणा, रणजीत सिंह बासियां, तरलोचन सिंह नडियाली, कुलदीप सिंह जिला प्रधान किसान जवान वेलफेयर यूनियन और बड़ी संख्या में किसान मौजूद थेे।