मोहाली 4 सितंबर (गीता)। भारतीय किसान यूनियन राजेवाल की जिला मोहाली इकाई ने डीसी कार्यालय मोहाली के सामने 2 घंटे तक धरना दिया और डीसी के माध्यम से मुख्यमंत्री को एक मांग पत्र दिया गया। इस संबंध में जानकारी देते हुए यूनियन के जिला अध्यक्ष कृपाल सिंह सियाऊं एवं वरिष्ठ नेता परमदीप सिंह बैदवान ने कहा कि आज यूनियन ने पंजाब के सभी जिला मुख्यालयों पर धरना दिया और डीसी के द्वारा सहित मुख्यमंत्री को मांग पत्र भेजा है।
मांग पत्र में कहा गया है कि इस साल पूरे पंजाब में बड़े पैमाने पर बाढ़ आने से सभी फसलों को काफी नुकसान हुआ है. कई लोगों के घर गिर गए हैं, जानवर मर गए हैं और जान भी चली गई है, बाढ़ क्षेत्र में मवेशियों के लिए चारा नहीं बचा, भूसे के ढेर में पानी भर गया। लोगों के घरों में पानी घुसने से काफी नुकसान हुआ। पत्र में कहा गया है कि बाढ़ से कम से कम 7000 करोड़ का नुकसान हुआ है और लोगों को राहत पहुंचाने के लिए आगे आना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है। पत्र में कहा गया है कि इतनी बड़ी विपदा के दौरान सरकार कहीं नजर नहीं आई और पंजाब के आम लोग ही हैं जो अपने लिए लंगर, दूध, जानवरों के लिए चारा लेकर बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आए हैं। पत्र में कहा गया है कि सरकार जो चाहे दावा कर सकती है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि अभी तक फसलों आदि के नुकसान की कोई गिरदावरी नहीं हुई है। पत्र में मांग की गई है कि किसानों को धान, चारा, सब्जी, गन्ना आदि फसल क्षतिपूर्ति के लिए न्यूनतम 50 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए। जिन किसानों के पशु मरे हैं उन्हें प्रति पशु एक लाख रुपये मुआवजा दिया जाए। ढहे मकानों के लिए 5 लाख और क्षतिग्रस्त मशीनरी व घरेलू सामान का मुआवजा भी दिया जाए। जिस परिवार में किसी जीवित बचे व्यक्ति की मृत्यु हुई हो, उस परिवार को प्रति जीवित बचे 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए। किसानों को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए सहकारी समितियों और वाणिज्यिक बैंकों के सभी कर्ज माफ किए जाने चाहिए। नेताओं ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित 6800 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा किसानों के साथ बहुत ही भद्दा मजाक है, किसान इसे बुनियादी तौर पर खारिज करते हैं।
पत्र में मांग की गई है कि मनरेगा योजना के तहत श्रमिकों के लिए कार्य दिवस प्रति वर्ष 100 से बढ़ा कर 200 किया जाए और यह योजना किसानों पर भी लागू की जाए। पत्र में सरकार को चेतावनी दी गई है कि फसल, मकान, पशु आदि के मुआवजे की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी कर 20 सितंबर तक मुआवजा भुगतान सुनिश्चित करें, अन्यथा किसान आंदोलन करने को बाध्य होंगे, जिसकी जिम्मेदारी सरकार होगी।
किसान नेताओं ने कहा कि सहकारी समितियों में आमतौर पर जरूरत के मुताबिक खाद उपलब्ध नहीं होती, इसलिए मार्कफेड को खाद की पूरी आपूर्ति सुनिश्चित करने के सख्त आदेश दिए जाएं। साथ ही मांग की गई है कि सरकार 20 सितंबर से धान की खरीद सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने शर्तों के साथ बासपती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे किसानों की लूट होगी। इसलिए इस मुद्दे को तुरंत केंद्र सरकार के समक्ष उठाया जाना चाहिए और निर्यात पर लगे इस प्रतिबंध को हटाया जाना चाहिए। नेताओं ने कहा कि खेतों में पानी सूखने के बाद किसानों को जमे हुए बालू को बाहर निकालना होगा, इसलिए सरकार खनन विभाग को आदेश दे कि किसानों को अपने खेतों को समतल करने में परेशानी न हो और हर किसान जमे हुए बालू को हटा दे। खेतों से रेत या मिट्टी निकाल कर बेचने की छूट मिलनी चाहिए ताकि वे अगली फसल के लिए अपने खेत तैयार कर सकें।