गांवों में दुधारू पशुओं की भारी कमी, फिर भी बाजार में दूध और दूध पदार्थ उपलब्ध पहलवान अमरजीत सिंह गिल बोले डेयरी धंधा हुआ घाटे का सौदा, सरकार दे ध्यान

By Firmediac news Sep 14, 2023
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गांवों में दुधारू पशुओं की भारी कमी, फिर भी बाजार में दूध और दूध पदार्थ उपलब्ध
पहलवान अमरजीत सिंह गिल बोले डेयरी धंधा हुआ घाटे का सौदा, सरकार दे ध्यान

 

 

Firmedia C News Channel Team 

मोहाली 14 सितंबर (गीता)। पशु पालकों का दूध डायरी का व्यवसाय दिन प्रतिदिन घाटे में जा रहा है, चिंता का विषय है, सरकार को इस ओर ध्यान देकर एक अच्छी नीति बनाने की जरूरत है, जिससे लोगों का उत्साह बढ़ेगा और लोग इस ओर नहीं बढ़ेंगे दूध का व्यवसाय व दूध का उत्पादन नहीं होगा। उपरोक्त विचार जिला कांग्रेस पार्टी सीनियर लीडर पहलवान अमरजीत सिंह गिल लखनौर ने मीडिया से बातचीत करते हुए व्यक्त किए ।
प्हलवान अमरजीत सिंह गिल ने कहा कि बड़े शहरों में दूध की आपूर्ति कैसे हो रही है यह चिंता का विषय है। अगर हम गांव को देखें तो गांव छोटा हो या बड़ा, भैंसों ने लोगों का ध्यान भटका दिया है। दूध पर्याप्त नहीं है क्योंकि औसत निकालेंगे तो सभी गांवों की बात करें तो वही चार घरों में भैंस हैं। आखिर फिर बाजार में इतना दूध और दूध से बना पदार्थ कहां से आ रहा है ।
गिल ने बताया कि वर्तमान की स्थिति ऐसी है कि चारे का रेट काफी ज्यादा है । उन्होंने बताया कि भूसा का रेट करीब 600 प्रति क्विंटल, फिर दवाइयां जानवरों के इलाज का खर्च, कोई जानवर मर जाए तो भारी नुकसान, नौकरों का खर्च अलग, आंधी हो या तूफान, आज के महंगाई के जमाने में दिन भर मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन डेयरी व्यवासाय से जुडे लोगों की हालत दहनीय होती जा रही है, उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार को इस ओर विशेश ध्यान देना चाहिए और लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए बढिया दूध व दूध से बने पदार्थ उपलब्ध करवाए जाने की गारंटी होनी चाहिए ।
उन्होंने ऐसा होने से एक ओर दूध व्यासाय या डेयरी फार्मिंग को बढावा मिलेगा और लोगों को भी बढिया दूध मिल सकेगा क्योंकि दूध के बिना कुछ भी नहीं है।
उन्होंने बताया कि उनके परिवार में 100 भैंसें थीं और दूध का बहुत अच्छा व्यवसाय चल रहा था, लेकिन अब उनके पास केवल 15 भैंसें हैं क्योंकि इतनी मेहनत करने के बाद भी हमें पैसों की जरूरत है, क्योंकि महंगाई के कारण बचत नहीं हो रही है और हमें बहुत परेशानी होती है। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने घर का दूध और मक्खन पसंद है, नहीं तो शायद उनकेे लिए भैंस पालना मुश्किल हो जाता। उन्होंने डेयरी वालों के हक में आवाज बुलंद करते हुए कहा कि यदि कोई जानवर मर जाता है तो सरकार को उस जानवर के मालिक को तुरंत सहायता देनी चाहिए।

 

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