डॉ  सलोनी ब्रूटा जेबीटी जी.एस.एस.एस 45 ए, चंडीगढ़ नैतिक मूल्य और जीवन यदि धन जाता है तो कुछ भी नहीं खो जाता

By Firmediac news Apr 22, 2024
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यदि स्वस्थ खो जाता है तो कुछ खो जाता है और जब एक चरित्र को जाता है तो उसका सब कुछ खो जाता है। हम आज 21वीं सदी में रह रहे हैं जहां हमारे आसपास बहुत कुरीतिया है। खराब मानसिक स्वास्थ्य हमारे समाज को बुराइयों से ग्रस्त कर रहा है। पेड़ों की स्वस्थ जड़ों का मतलब है स्वस्थ पतियां और शाखाएं, इस तरह स्वस्थ मूल्य की मजबूत जड़ों वाले लोगों का मतलब है अच्छे विचार और स्वस्थ जीवन जीता। नैतिक मूल्यों को बचपन से ही सिखाया जाना चाहिए ताकि एक मजबूत चरित्र वाली पीढ़ी का निर्माण किया जा सके। जिससे उन्हें यह एहसास हो कि क्या सही है और क्या गलत है। मूल्यों को पढ़ाने का महत्व यह है कि यह मानसिक अनुकूलन तैयार करता है और कठिन परिस्थितियों और स्थितियों पर काबू पाने के लिए उनके दृढ़ संकल्प को मजबूत करता है। नैतिक मूल्यों को बचपन में विकसित किया जाना चाहिए ताकि उनकी नीव मजबूत हो। बच्चे अपने आसपास के लोगों से सीखते हैं इसलिए बच्चों को अच्छे मूल्य सीखने के लिए व्यक्तिगत अनुभवों को कहानियों के रूप में सुनाया जा सकता है, क्योंकि बच्चों को कहानी सुनना पसंद होता है। ऐसे सिस्टम के साथ आते हैं जहां आप बच्चों को अपने जीवन में उन मूल्यों का उपयोग करने के लिए रिबूट करते हैं। प्रशंसा और पुरस्कार सकारात्मक सुदृढीकरण है जो कुछ बच्चों को आकार देने में विश्वसनीय रूप से अच्छी तरह से काम करते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि बच्चे जाने की सब कुछ उनके अनुसार काम नहीं करता है। उन्हें छोटी उम्र से सीखने की जब यह बिल्कुल आवश्यक हो तो उन्हें नैतिक दिशा निर्देश को सामान्य उचित करने का प्रयास करना पड़ सकता है। और न्याय की भावना सबसे महत्वपूर्ण मूल्य है जो किसी भी बच्चों में छोटी उम्र से ही होने चाहिए ।
शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है जो किसी के पास हो सकता है और वह चीज है जो सबसे अधिक प्रभाव डालती है कि आप जीवन में कहां पहुंचेंगे। शिक्षकों को अपने कार्यक्रम की योजना इस तरह से बननी चाहिए ताकि बच्चों में वांछनीय भावनाओं को विकसित करने में सहायता मिल सके। शिक्षक एक अच्छी आत्म छवि बनाने में मदद करते हैं। बच्चों को अपने आप को ईमानदार और विश्वसनीय मानने में मदद करनी चाहिए उनके उपदेश और अभ्यास के बीच कोई अंतर नहीं होना चाहिए इस उम्र के दौरान सीखे गए सबक जीवन भर उनके साथ रहते हैं बच्चे काफी चौकस होते हैं वह जीवन में जो चीज़ सीखने हैं वह अपने शिक्षक माता-पिता और बड़े आई बहनों को देखकर सीखते हैं माता-पिता के साथ शिक्षकों को भी छात्रों को अच्छे नैतिक मूल्यों को अपने में मदद करने के लिए विशेष प्रयास करने चाहिए उदाहरण के लिए एक यदि वह अपने बड़ों को ऐसा करते हुए देखते हैं तो सच बोलने के लिए प्रेरित होंगे वहीं दूसरी ओर यदि उन्हें बार-बार सच बोलने के लिए कहा जाता है तो वह सच बोलने के लिए प्रेरित होंगे बड़ों के अन्यथा करने पर वह झूठ बोलने के लिए प्रलोभित होंगे वह माता-पिता और शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वह अच्छे मूल्य का प्रदर्शन करने के लिए उचित व्यवहार करें ताकि बच्चों में भी वैसा ही विकसित हो उन्हें छार्जा को विनम्र होने के लिए प्रेरित करना चाहिएदूसरों को सच बोलने में मदद करना चाहिए दयाल होना चाहिए और खुशी से जिम्मेदारियां उठाएं समय बदल रहा है और समय के साथ लोगों की मानसिकता भी बदल रही है छात्रों का जीवन के प्रति एक अलग दृष्टिकोण है लाभ के लिए कुछ कार्य करना धूम्रपान करना शराब पीना और नशीली दवाई लेना इन दोनों एक आम बात है जबकि इस वर्जित माना जाता था कुछ दिन पहले युवा यह ये बिना किसी जीजा के उसी में लगे रहते हैं इसका श्रेय पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव को दिया जा सकता है इसके अलावा आजकल माता-पिता भी अपने जीवन में बेहद व्यस्त हो गए हैं और उन्हें अपने बच्चों के साथ बिताने और उन्हें यह सीखने के लिए मुश्किल से ही समय मिल पाता है कि क्या सही है और क्या गलत है सौ समाज की भलाई के लिए नैतिक मूल्यों को विकसित किया जाना चाहिए और उनकी वकालत की जानी चाहिए ना कि व्यक्तियों का दम घुटने के लिए बढ़ती पौडिया की मानसिकता के अनुरूप समय-समय पर उन्हें बदलाव करना महत्वपूर्ण है

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