दवा निर्माण के अच्छे तरीकों के लिए भरोसेमंद सामान का इस्तेमाल जरूरीः माहिर

By Firmediac news Nov 16, 2023
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मोहाली 16 नवंबर (गीता)। सरकार ने दवा कंपनियों और विशेष रूप से एमएसएमई को अगले 6-12 माह में निर्माण के लिए बेहतर तरीके अपनाने या जीएमपी सर्टिफिकेट लेने का आदेश दिया है। आंकड़ों के अनुसार, कुल 10,500 निर्माताओं में से केवल दो हजार के पास ही जीएमपी सर्टिफिकेट है। इससे समस्या की गंभीरता का पता चलता है, जिसका समाधान सरकार को प्रयत्न करके खोजना है। दवा संबंधी उत्पादों में मानक और निर्माण-विधियों में सुधार पर निगरानी के साथ जीएमपी सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। इस बीच, सरकार को एपीआई, फाइनल फॉर्म्युलेशंस और दवा उत्पादों के निर्माण के लिए भारतीय दवा निर्माताओं द्वारा आईपीए, एसीटोन, एमडीसी और मेथनॉल जैसे फार्माकोपिया मोनोग्राफ्ड सॉल्वेंट्सध्एक्सीपिएंट के प्रयोग पर भी अधिक सजग रुख अपनाना चाहिए।

भारतीय आईपीए निर्माताओं के अनुसार, आयात किए गए सस्ते आईपीए के प्रयोग से फार्माकोपिया मानकों में बताए गए कई महत्वपूर्ण मानक पूरे नहीं हो पाते, जैसे – यूवी एब्सॉर्बेंस टेस्ट, असंतृप्त हाइड्रोकार्बन्स की पहचान और तेज काम करने वाले कार्बोनिजेबल पदार्थ। इसके अलावा, चूंकि आईपीए और अन्य सॉल्वेंट्स जैसे – टॉल्यूनि, एसीटोन और अन्य का बड़ी मात्रा में आयात किया जाता है और उन्हें कांडला, मुंबई, विजाग और अन्य तटों पर मिश्रित स्थिति में रखा जाता है, इसलिए इस बात का काफी ज्यादा खतरा रहता है कि गैर-फार्मा (औद्योगिकध्पेंटध्क्लीनिंग) के लिए मंगवाए गए सॉल्वेंट्स फार्मा स्तर के सॉल्वेंट्स के साथ मिल जाएं। इससे दवाइयों में प्रयोग किए जाने के लिए अंतिम उत्पाद की सुरक्षा और असर से भी समझौता करना पड़ सकता है।
राज्य की नियंत्रण इकाई के साथ काम कर चुके विकास बयानी का कहना है कि ब्रैंड की अच्छी छवि तैयार करने के लिए किसी भी कंपनी को बरसों तक कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और ढेरों तरीके अपनाने पड़ते हैं। लेकिन, जीएमपी नियमों का पालन नहीं करने, सरकार की नजर में आने और मीडिया की सुर्खियां बन जाने से कुछ ही दिनों में ब्रैंड की छवि और कॉरपोरेट साख खराब हो सकती है।

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