देह संस्कार करना अब आम लोगों के लिए नहीं रहा आसानः रमेश वर्मा जितने की लकडी नहीं लगती, उससे ज्यादा संस्कार के अन्य समान पर होता है खर्च,निगम को ध्यान देने की जरूरत नगर निगम मोहाली अधीन आने वाले शमशानघाट में पिछले कई सालों से गीली लकडी का हो रहा इस्तेमाल

By Firmediac news May 7, 2024
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मोहाली 7 मई ( गीता ) । मोहाली में महंगाई की मार मोहाली नगर निगम के शमशानघाट पर साफ तौर पर देखने को मिल रही है। यहां तक कि एक मध्यम वर्ग के परिवार को या फिर गरीब परिवार के लिए देह के संस्कार का होने वाला खर्च उठाना भी मुश्किल हो चुका है। इसलिए नगर निगम और संबंधित पंजाब सरकार व स्थानीय निकाय विभाग के मंतरी को इस ओर ध्यान देना चाहिए । उपरोक्त विचार भाजपा के सीनियर लीडर रमेश वर्मा ने मीडिया से बातचीत करते हुए मोहाली के मौजूदा पार्षदों और नगर निगम के उन अधिकारियों पर सवाल खडा किया है जो जनता की दिए जाने वाले टैक्स से सैलरी लेते हैं, लेकिन जनता की समस्याओं को हल करवाने में कितना फिक्ररमंद है उसका इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यदि आप मोहाली बलौंगी स्थित शमशानघाट में किसी देह का संस्कार करवाने के लिए जाते हैं तो जितनी लकडी देह को जलाने में खर्च नहीं आती उससे कहीं ज्यादा का खर्च देह के पूजा-पाठ के नाम पर खर्च करना पड रहा है जिसके चलते लोगों को कई बार देह संस्कार के लिए अन्य तरह की समस्याओं का सामना करना पडता है।
भाजपा नेता रमेश वर्मा ने कहा कि शमशानघाट में जाने पर आपको एक पर्ची थमा दी जाती है जिससे पूजा-पाठ व संस्कार क्रियाओं से संबंधित समाग्री का विवरण होता है जिस पर लगभग 4 से 5 हजार रूप्ए प्रति देह संस्कार के पूजा-पाठ के नाम पर खर्च किया जा रहा है और उसके बाद देह को जलाने के लिए नगर निगम की ओर से लिया जाने वाला खर्च भी जिसमें एक देह के लिए लगभग डेढ से दो कुअंटल लकडी भी शामिल है, जिसका मूल्य लगभग 600 रूप्ए के करीब है।
भाजपा नेता रमेश वर्मा का आरोप है कि मोहाली नगर निगम के अधीन आने वाले बलौंगी शमशानघाट में देह को जलाने के लिए गीली लकडी का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें भ्रष्टाचार की बो आ रही है और यह खेल कोई आज से नहीं बल्कि पिछले 10-12 सालों से चल रहा है। इसलिए ऐसे ठेकेदार और संबंधित विभाग के उन अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ विजीलैंस जांच भी होनी चाहिए, ताकि पब्लिक के पैसों की लूट को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि शमशानघाट में रोजाना औस्तन 12-15 शवों का संस्कार किया जाता है और यदि साल का आंकडा लगाया जाए और गीली लकडी का हिसाब लगाया जाए तो यह एक बहुत बडे घपले के रूप में बाहर आ सकता है। उन्होंने कहा कि यह कार्य किसी भी व्यक्ति के परिवार के जी के अंतिम संस्कार एवम भावना से जुडा है और ऐसे मामले में भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाही की जानी चाहिए ।
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दे ह के संस्कार में होता राल का इस्तेमाल,जो बिकती है 400 रूप्ए प्रति किलो से उपर, लकडी गीली होने के चलते एक से दो किलो राल का होता है इस्तेमाल
मोहाली। मोहाली के पूर्व पार्षद मैडम प्रकाशवति के बेटे व भाजपा मोहाली सीनियर नेता रमेश वर्मा का कहना है कि शमशानघाट में शवों के अंतिम संस्कार में पिछले कई सालों से गीली लकडी का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके चलते वहंा उपस्थित पंडित के द्वारा शव को तेजी से चलाने और गीली लकडी को आग लगाने के लिए राल का इस्तेमाल किया जा रहा है जो कि एक तरह का पेट,ोलियम पदार्थ है जिस पर प्रति शव के संस्कार पर अकेले राल पर ही 400 से लेकर 800 रूप्ए का खर्च आ रहा है। लेकिन यदि लकडी सूखी हो तो एक लकडी ज्यादा मिलेगी और राल जैसी समाग्री की जरूरत ही नहीं पडेगी और जनता की आर्थिक लूट से निजात मिलेगी।

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