मोहाली 12 अक्तूबर (गीता)। पंजाब सरकार बार-बार कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहरा रही है, लेकिन पंचायत विभाग की अफसरशाही सरकार द्वारा बनाई गई नीति को नहीं मान रही है। मानने से इंकार करने पर पूरे पंजाब में नरेगा कर्मचारियों में लगातार रोष बढ़ रहा है।
अपनी मांगों को लेकर वीरवार को यहां पंचायत विभाग के मुख्य कार्यालय, विकास भवन, मोहाली का घेराव किया। उल्लेखनीय है कि माननीय सरकार द्वारा अयोग्य कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए बनाई गई नीति के तहत अयोग्य शिक्षकों की भी नियुक्ति की गई है। भले ही इस नीति के तहत कर्मचारियों को पूरी तरह से सीएसआर नियमों के तहत तय नहीं किया जा रहा है, लेकिन ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग की नौकरशाही पिछले पंद्रह वर्षों से पारदर्शी तरीके से भर्ती किए गए नरेगा कर्मचारियों को इस नीति में लेने से इनकार कर रही है। पंजाब सरकार की ओर से जारी नई नीति के तहत ऑनलाइन आवेदन लेने के लिए जारी पोर्टल पर अपलोड किए गए डाटा को पंचायत विभाग के आला अधिकारी सत्यापित करने से इनकार कर रहे हैं। प्रर्दशनकारियों के मुताबिक राज्य सरकार ने विभागों को डेटा सत्यापित करने के लिए 1 से 30 सितंबर तक का समय दिया था, लेकिन नौकरशाहों ने डेटा सत्यापित करने से इनकार कर दिया। तर्क यह है कि कार्मिक विभाग को यह स्पष्ट करना चाहिए कि नरेगा कर्मचारी केंद्रीय योजना में भर्ती नीति के तहत स्थायी होते हैं हो भी सकते हैं और नहीं भी। जबकि कार्मिक विभाग ने पंचायत विभाग द्वारा मांगे गए मार्गदर्शन में पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि पारदर्शी तरीके से भर्ती किए गए कर्मचारी जो दस साल से अधिक समय से सेवा में हैं, उन्हें स्थायी किया जा सकता है, चाहे वे केंद्रीय योजनाओं में ड्यूटी कर रहे हों या राज्य सरकार की योजनाओं में। इस पर अंतिम फैसला सभी विभागों के प्रशासनिक सचिवों को लेना है।
इस मौके पर जानकारी देते हुए प्रदेश अध्यक्ष मनशे खान, महासचिव अमृतपाल सिंह, वित्त सचिव संजीव काकरा, चेयरमैन रणधीर सिंह ने बताया कि कृषि विभाग में आत्मा योजना, स्वास्थ्य विभाग में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और मिड -शिक्षा विभाग में डे मील योजना का डाटा सत्यापित कर रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है जो सीधे तौर पर केंद्रीय योजनाओं के कर्मचारी थे। सरकार द्वारा हाल ही में नियुक्त किए गए शिक्षकों में से शिक्षा प्रदाता पूरी तरह से केंद्रीय निधि से वेतन ले रहे हैं, उनकी नियुक्ति भी की जाती है, लेकिन जिन कर्मचारियों ने अपने जीवन का सबसे मूल्यवान समय नरेगा खातों के तहत बिताया है, उन्हें नीति से बाहर रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर जब हमारी यूनियन की राज्य कमेटी द्वारा ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर का मामला हमारे ध्यान में लाया गया, लेकिन फिर भी कोई हलचल नहीं हुई। उन्होंने कहा कि 7 अक्टूबर को लुधियाना राज्य स्तरीय बैठक में लिए गए निर्णयों के अनुसार आज से पंजाब स्तर पर नरेगा के तहत सभी कार्य पूरी तरह से बंद कर दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 80 प्रतिशत विकास कार्य नरेगा के माध्यम से संचालित किये जा रहे हैं। नरेगा कर्मचारियों की हड़ताल से विभाग के काम-काज और श्रमिकों के रोजगार पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसकी जानकारी पहले ही विभाग के उच्च अधिकारियों को मांग पत्र के माध्यम से दी जा चुकी है। प्रदर्शन में शामिल नरेगा कर्मियों की भीड़ और उत्साह को देखते हुए विभाग के अधिकारियों की एक टीम ने संयुक्त विकास आयुक्त अमित कुमार के नेतृत्व में प्रो-कार्मिक विभाग के साथ बैठक की। कार्मिक विभाग ने लिखित में स्वीकार किया कि नरेगा कर्मचारियों सहित अन्य केंद्रीय योजनाओं के कर्मचारियों को इस नीति के तहत नियुक्त किया जा सकता है। इस मौके पर संयुक्त विकास आयुक्त ने अपर उपायुक्तों को पत्र जारी कर 20 अक्टूबर से पहले सत्यापन करने का आदेश जारी किया है। पत्र मिलने के बाद यूनियन ने यह ऐलान कर धरना अगले फैसले तक स्थगित कर दिया कि अगर विभाग ने कुछ नहीं किया तो फिर से काम बंद कर दिया जायेगा और 18 अक्टूबर को मुख्यमंत्री के संगरूर आवास का घेराव किया जायेगा। इस मौके वरिष्ठ उपाध्यक्ष ईश्वर पाल सिंह, उपाध्यक्ष हरिंदर पाल सिंह जोशन, प्रेस सचिव अमरीक सिंह मेहराज, बलजीत सिंह तरनतारन, हरपिंदर सिंह फरीदकोट, संरक्षक वरिंदर सिंह, हरजिंदर सिंह, अमनदीप सिंह, तरसेम सिंह, इकबाल सिंह, हरविंदर सिंह बम्ब, संदीप सिंह, सतविन्दर सिंह आदि ने भी संबोधित किया।