पंजाब में व्यापक सरकारी भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए राजनीतिक भ्रष्टाचार को खत्म करना जरूरी: सतनाम दाउं
कहा,पंजाब में राजस्व अधिकारियों की हड़ताल का लोगों द्वारा विरोध जारी
भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने के लिए तंत्र हड़ताल का सहारा ले रहा: दाउं
मोहाली 31 जुलाई (गीता)। जनता की उम्मीदों के अनुरूप जब नई सरकार ने काम करना शुरू किया तो कई भ्रष्ट अधिकारी पकड़े गये. इस मुहिम में पंजाब के कई बड़े अधिकारी भी शामिल हुए और लोगों को भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था की उम्मीद जगी ।
लेकिन भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हैं कि यह सरकारी तंत्र में अधिकारियों की जड़ों तक कैंसर की तरह फैल चुका है। जिसके परिणामस्वरूप अधिकारी गलत काम करते हुए भी सही-गलत का फर्क नहीं कर पाते और भ्रष्टाचार व्याप्त हो जाता है। जब कोई अधिकारी इस भ्रष्टाचार में फंस जाता है तो दूसरे लोग उसे बचाने के लिए सरकार को ब्लैकमेल कर हड़ताल की नीति पर काम करने लगते हैं। जिससे लोगों की परेशानी काफी बढ़ जाती है । अब जब पंजाब के लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो गए हैं और वे सरकार को भ्रष्ट अधिकारियों की परवाह किए बिना व्यवस्था में सुधार की उम्मीद के साथ काम करते देखना चाहते हैं और यही कारण है कि लोग इस व्यवस्था को सुधारने के लिए लामबंद हो गए हैं। फिलिप्स प्लॉट घोटाले में आईएएस अधिकारी नीलिमा के फंसने के बाद पंजाब के दर्जनों आईएएस अधिकारी अपनी नौकरी छोड़ कर नीलिमा को बचाने के लिए मुख्यमंत्री के पास पहुंचे और उन्हीं दिनों एक भ्रष्ट पीसीएस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई हुई, क्योंकि पीसीएस अधिकारी हड़ताल पर थे। पंजाब अगेंस्ट करप्शन ऑर्गनाइजेशन के नेतृत्व में विजिलेंस ब्यूरो मुख्यालय के बाहर एक बड़ी सभा की गई, आईएएस अधिकारियों के पुतले फूंके गए और पुतलों और भगवंत मान सरकार के गले में जूतों के हार डाले गए। अनुरोध किया गया कि अगर अब सरकार भ्रष्टाचारियों के दबाव में आ गई तो भ्रष्टाचार से त्रस्त पंजाब की जनता वास्तव में इन अधिकारियों के गले में जूतों का हार डालने पर मजबूर हो सकती है। जिसके चलते भगवंत मान सरकार ने तुरंत सख्त चेतावनी देकर हड़ताल खत्म कर दी। अब जब विजिलेंस ब्यूरो ने पंजाब के 48 तहसीलदारों और उनके सहयोगियों की सूची जारी की है, तो अधिकारी बौखला गए हैं और कार्रवाई रोकने के लिए सरकार को ब्लैकमेल कर रहे हैं, जिसके कारण वे फिर से बहाने बना कर पंजाब के खजाने को नुकसान पहुंचा रहे हैं और तहसीलों में आम जनता का काम रोक कर आम आदमी को परेशानी में डाल रहे हैं।
सतनाम सिंह दाउं का कहना है कि पिछले सप्ताह सरकार पर दबाव बनाने के इरादे से रोपड़ के विधायक ने झूठे आरोपों को लेकर लगातार धरना दिया था। पंजाब के लोगों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया और हड़ताली अधिकारियों के खिलाफ बड़ी सभाएँ आयोजित कीं, जिसके कारण पंजाब राजस्व अधिकारी एसोसिएशन और अन्य संगठनों को हड़ताल वापस लेनी पड़ी। लेकिन हड़ताल वापस लेने के कुछ ही दिन बाद अब उन्होंने नए बहाने बनाते हुए मुख्यमंत्री को 16 पेज का पत्र लिखा और दफ्तरों का काम बंद करा दिया, जिससे लोगों को परेशानी हो रही है।
राजस्व अधिकारियों द्वारा लिखे गए पत्र का विरोध करते हुए पंजाब की आधा दर्जन समाज सेवी संस्थाओं ने पत्र लिख कर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और 48 अधिकारियों के खिलाफ उचित जांच कर कार्रवाई करने या उन्हें क्लीन चिट देने की मांग की है और सरकार से यह भी अनुरोध किया है कि किसी भी दबाव में संगठन का कहना है कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं बल्कि उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
उधर, समाज सेवी संस्थाओं ने भी राजस्व अधिकारी एसोसिएशन से अनुरोध किया है कि उनके साथी अधिकारी-कर्मचारी भ्रष्टाचार के दर्जनों मामलों में संलिप्त हैं और कई जेल में हैं। उन भ्रष्टाचारियों के कारण पंजाब को अरबों रुपये का नुकसान हुआ है। इस संबंध में जस्टिस कुलदीप सिंह ने हाईकोर्ट में एक रिपोर्ट पेश की है। समाज सेवी संगठनों ने सरकारी अधिकारियों के संगठनों को सुझाव दिया कि वे इस मामले में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों को सामाजिक बहिष्कार के जरिये अपने संगठन से बाहर कर दें, ताकि यह घटना और न बढ़े।
पंजाब अगेस्ट कराप्शन और उसके सहयोगी संगठनों, जिनमें पंजाब ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन, विजिलेंट सिटीजन फोरम, काउंसिल ऑफ इंजीनियर्स, आरबीएस रूट्स और नरोआ पंजाब मंच शामिल हैं, ने राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार रोकने और भ्रष्टाचार रोकने के लिए मुख्यमंत्री और पंजाब रेवेन्यू ऑफिसर्स एसोसिएशन को पत्र लिखा है। सुधार के लिए अपने सुझाव भेज दिये हैं। इसके अलावा आशा व्यक्त की है कि सरकार एवं अधिकारी इस पत्र का संज्ञान लेंगे और सुधार करेंगे।