मोहाली 5 अक्तूबर (गीता)। मोहाली नगर निगम और डिप्टी मेयर कुलजीत सिंह बेदी ने पीएसपीसीएल की ओर से बिजली के उपर लिए जाते सैस की करोडों रूप्ए की बकाया रकम मोहाली नगर निगम को न दिए जाने के संबंधित प्रिंसीपल सचिव पावर विभाग, प्रिंसीपल सचिव स्थानीय निकाय विभाग, प्रिंसीपल सचिव वित्त विभाग और चेयरमैन कम मैनेजिंग डायरेक्टर पीएसपीसीएल पटियाला को अदालत की मान हानि का कंटैंपट नोटिस दिया है ।
इस संदर्भ में अपने वकील रंजीवन सिंह के माध्यम से दिए गए नोटिस में कुलजीत सिंह बेदी ने कहा कि उन्होंने 17 जुलाई 2023 को माननीय पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में कुलजीत सिंह बेदी बनाम पंजाब राज्य और अन्य शीर्षक से एक जनहित याचिका दायर की और भुगतान की मांग की जो पीएसपीसीएल पर बकाया है। इसके लिए निर्देश देने की मांग की ।
डिप्टी मेयर कुलजीत सिंह बेदी ने कहा कि दिसंबर 2017 से अब तक सेक्टरों के नए विस्तारित क्षेत्र सहित एसएएस नगर की नगरपालिका सीमा के भीतर बिजली की खपत, उपयोग और बिक्री पर पीएसपीसीएल 2 प्रतिशत के रूप में सैस / नगरपालिका कर वसूलता आ रहा है। विभाग को नगर निगम मोहाली को भुगतान करना है, लेकिन पीएसपीसीएल पर करोड़ों रुपये बकाया होने के बावजूद नगर निगम को यह राशि नहीं दी जा रही है।
डिप्टी मेयर कुलजीत सिंह बेदी ने बताया कि उक्त जनहित याचिका की सुनवाई 17.07.2023 को हुई थी, जिसमें डिप्टी एडवोकेट जनरल ने माननीय मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली माननीय पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की खंडपीठ को सूचित किया था कि मामला सक्षम प्राधिकारी के समक्ष लंबित था और इस मामले पर प्रमुख सचिव, स्थानीय निकाय विभाग, पंजाब के साथ चर्चा की जाएगी और कानून के अनुसार जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। डिप्टी एडवोकेट जनरल पंजाब के इस बयान को रिकॉर्ड पर लेने के बाद माननीय पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा 17.07.2023 को उक्त जनहित याचिका का निपटारा कर दिया गया।
डिप्टी मेयर कुलजीत सिंह बेदी ने कहा कि उन्होंने 31 जुलाई को हाईकोर्ट द्वारा दिये गये फैसले की कॉपी उक्त विभागों को भेज कर इस मामले में जल्द कार्रवाई की मांग की है । कुलजीत सिंह बेदी ने कहा कि इसके बावजूद अब तक इस मामले में कोई निर्णय नहीं लिया गया है और यह माननीय न्यायालय के फैसले की जान बूझ कर अवमानना है । कुलजीत सिंह बेदी ने कहा कि उन्होंने उपरोक्त विभागों को पीएसपीसीएल की बकाया राशि तीन सप्ताह के भीतर मोहाली नगर निगम में जमा कराने का समय दिया है और ऐसा न करने की स्थिति में वे माननीय न्यायालय में मानहानि का दावा दायर करेंगे।