एकता, सांप्रदायिक सद्भाव और अखंडता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, भारतीय अल्पसंख्यक फाउंडेशन ने प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन के अवसर पर एक इंटरफेथ पैनल चर्चा का किया आयोजन
एक राष्ट्र, एक नेतृत्व: प्रधान मंत्री मोदी की पहल ने भारत को अभूतपूर्व विकास दिया है
Firmedia C News Channel Team
चंडीगढ़: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 73वें जन्मदिन के अवसर पर मुस्लिम, हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी धर्मों के उपदेशको तथा नेताओं ने ‘नवभारत निर्माण का संकल्प’ पर एक बहुधार्मिक संवाद में भाग लिया, जिसका आयोजन इंडियन माइनॉरिटी फाउंडेशन (आईएमएफ) द्वारा रविवार (17 सितंबर) को चंडीगढ़ के सेक्टर 38 स्थित रानी लक्ष्मी बाई महिला भवन में किया गया था।
इस संवाद के दौरान सात धार्मिक समुदायों के आध्यात्मिक नेताओं ने एकता, शांति और सहिष्णुता का आह्वान किया और इस बात पर जोर दिया कि सभी धार्मिक समुदायों के सदस्यों को राष्ट्र के विकास और प्रगति में तेजी लाने के लिए एक साथ आना चाहिए। उन्होंने ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी समुदायों को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे का मार्ग प्रशस्त किया है, जो अमृत काल के दौरान राष्ट्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
आईएमएफ के कन्वीनर सतनाम सिंह संधू के साथ बहुधार्मिकपैनल वार्ता में भाग लेने वाले आध्यात्मिक एवं गणमान्य व्यक्तियों में गुरुद्वारा परतख दर्शन पीजीआई के बाबा लक्खा सिंह, चंडीगढ़ डायोसीज़ चर्च ऑफ़ नॉर्थ इंडिया (सीएनआई) के बिशप डेन्ज़ल पीपल्स, लेखक और सामाजिक-पसमांदा कार्यकर्ता डॉ फ़ैयाज़ अहमद फ़ैज़ी, ऑल चर्च काउंसिल फॉर पंजाब एंड चंडीगढ़ के अध्यक्षअनिल मसीह, सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंसूर खान,वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य अर्चक महाराज श्रीकांत मिश्रा; आचार्य सुशील मुनि मिशन के संस्थापक विवेक मुनि, डेरा भोरे वाला के महंत कमलजीत सिंह, शास्त्री (वेदांताचार्य) सुखनानद, जिला मोगा; ,गृह मंत्रालय सरकार के वरिष्ठ लोक वकील गुरभेज सिंह गुराया, एनसीटी दिल्ली, निहंग सिंह तरना दलजत्थेदार गुरदेव सिंह बाजवा, सूफी संत गुलाम हैदर कादरी और एक बौद्ध भिक्षु और चंडीगढ़ में सांगये मेनला (चैरिटेबल ट्रस्ट) के संस्थापक लामा येशे रबग्ये शामिल थे।
वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य आचार्य श्रीकांत मिश्रा ने कहा कि सनातन धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है और इसने प्राचीन काल से शांति और सद्भाव का संदेश दिया है। उन्होंने कहा, “सनातन धर्म हमें सद्भाव सिखाता है और एक-दूसरे के प्रति सम्मान का सन्देश देता है। यही भारत की असली पहचान है। प्रधानमंत्री मोदी की पहल के माध्यम से भारत की संस्कृति को विश्व स्तर पर बढ़ावा मिल रहा है।
बहु धार्मिक पैनल चर्चा के दौरान बोलते हुए, निहंग सिंह तरना दल के जत्थेदार गुरदेव सिंह बाजवा ने कहा कि श्री गुरु नानक देव जी के विचारों से विश्व शांति , भाईचारा और मानवता विकास हो सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे कार्यों से दूसरों को, विशेषकर समाज के गरीबों और पिछड़े वर्गों को लाभ होना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी सद्भाव और शांति के उसी विचार पर चल रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप भारत एक समृद्ध देश के रूप में उभर रहा है।
महंत कमलजीत सिंह, शास्त्री (वेदांताचार्य), डेरा भोरे वाला, सुखनानद, जिला मोगा ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि पीएम मोदी ने पिछले नौ वर्षों के दौरान भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के कल्याण के लिए सराहनीय काम किया है। “पीएम मोदी ने करतारपुर कॉरिडोर खोलकर लाखों सिखों का सपना पूरा किया, जिसका सिख समुदाय पिछले सात दशकों से इंतजार कर रहा था। उन्होंने सिख समुदाय की अपेक्षाओं को समझा और उनके दर्द को महसूस किया है।’ सिख समुदाय के लिए की गई कई ऐतिहासिक पहलसिख समुदाय के साथ समुदाय के साथ पीएम मोदी के विशेष स्नेह को दर्शाता हैं जो समय के साथ और भी बढ़ रहा है।
बहुधर्म संवाद को संबोधित करते हुए, इंडियन माइनॉरिटी फाउंडेशन (आईएमएफ) के कन्वेनर सतनाम सिंह संधू ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी समुदायों के बीच मतभेद को समाप्त करने , सद्भाव को बढ़ावा देने और देश की अखंडता को मजबूत करने के उद्देश्य के साथ सत्ता में आए हैं। ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के माध्यम से मोदी ने राष्ट्र निर्माण में एक टीम के रूप में हर समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित की है। उनके नेतृत्व में, भारत ने अभूतपूर्व विकास किया है. उनके नेतृत्वमें भारत एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा है।”
सतनाम सिंह संधू ने कहा, “पिछली सरकारों ने अल्पसंख्यकों को सिर्फ वोट बैंक समझा और उनके विकास की और कोई ध्यान नहीं दिया । जिसके कारण उन्हें हमेशा हीन भावना महसूस होती रही । लेकिन पीएम मोदी तुष्टिकरण की राजनीति को से ऊपर उठ कर हर समुदाय को एक मंच परलाये। उन्होंने कहा, ”जी-20 की सफलता प्रधानमंत्री के समावेशी दृष्टिकोण का प्रमाण है। भारत की जी-20 अध्यक्षता को शानदार सफलता दिलाने में हर समुदाय शामिल था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में भारत की विदेश नीति में एक बड़ा बदलाव आया है। अब भारत एक प्रमुख विश्व शक्ति बन रहा है जिसकी आवाज साडी दुनिया में सुनी और सराही जा रही है।
लेखक और सामाजिक-पसमांदा कार्यकर्ता डॉ. फैयाज अहमद फिजी ने पीएम मोदी के जन्मदिन पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने पीएम मोदी के जन्मदिन मनाने की ऐसी पहल करने के लिए आईएमएफ कन्वीनर सतनाम सिंह संधू की सराहना की।उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के अभिनव और अभूतपूर्व सुधारों ने सभी समुदायों के जीवन को बदल दिया है। विभिन्न क्षेत्रों में किये गए सुधारों ने भारत को एक विकसित राष्ट्र में परिवर्तित करने में तेज़ी लायी है। पीएम मोदी द्वारा शिक्षा क्षेत्र में लाए गए सुधार उल्लेखनीय हैं और पिछली सरकारें लगातार इसे नजरअंदाज करती रहीं। अमृत काल में भारत को एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए शिक्षा सुधारों के माध्यम से परिवर्तन महत्वपूर्ण है।”
पीएम मोदी के जीवन पर आधारित नाटक का प्रदर्शन
इस दौरान बहुधर्म संवाद के बाद पीएम मोदी के जीवन पर आधारित एक नाटक का मंचन भी किया गया। नाटक में पात्रों ने पीएम मोदी के विकसित भारत के दृष्टिकोण को दर्शाया और यह भी प्रदर्शित किया कि पिछले नौ वर्षों के दौरान उन्होंने भारत को किस प्रकार नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। नाटक की शुरुआत पीएम मोदी के जीवन के शुरुआती संघर्षपूर्ण चरण को दर्शाने, उनके समर्पण और कड़ी मेहनत से जीवन के संघर्षों पर विजय प्राप्त करने की अनुपम प्रस्तुति थी।
इस मौके पर काव्य सत्र का भी आयोजन किया गया जिसमें कई कवियों ने हिस्सा लिया, जिनमें कशिश वारसी, शम्स तबरेज़ी, राशि श्रीवास्तव, संगीता गीत और राम कुमार शामिल थे। कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से पिछले नौ वर्षों के दौरान पीएम मोदी द्वारा उठाए गए विभिन्न साहसिक कदमों पर प्रकाश डाला।