प्लक्षा यूनिवर्सिटी ने थ्राइव रूम का उद्घाटन किया

By Firmediac news Aug 23, 2023
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प्लक्षा यूनिवर्सिटी ने थ्राइव रूम का उद्घाटन किया
एमसीकेएस थ्राइव रूम विद्यार्थियों को कक्षा में उत्कृष्टता के लिये टूल्स और मौके देगाः प्रबंधक
मोहाली 23 अगस्त (गीता)। प्लक्षा यूनिवर्सिटी ने कैम्पस में एमसीकेएस थ्राइव रूम का उद्घाटन किया है। एमसीकेएस थ्राइव रूम एक अभिनव एवं सहकार्यात्मक परितंत्र होगा, जिसे विद्यार्थियों की मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक तंदुरुस्ती के लिये सोच-समझकर डिजाइन किया जाएगा। जीवन के सभी पहलुओं में सफल बनने और जटिल समस्याओं को अधिक क्षमता से हल करने के लिये विद्यार्थियों को समर्थ बनाने के इरादे से यह सर्वांगीण कल्याण करेगा।
एमसीकेएस थ्राइव रूम विवेकशीलता के अभ्यास और भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करने के लिये थेरैपी और प्लेटफॉर्म्स देकर मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देता है। इसके अलावा, यह कैम्पस में विद्यार्थियों की शारीरिक तंदुरुस्ती सुधारने के लिये कई योजनाओं की पेशकश करता है और उन्हें एक संपूर्ण रूटीन विकसित करने तथा जीवन जीने के सकारात्मक तरीके खोजने के लिये प्रेरित करता है। एमसीकेएस थ्राइव रूम विद्यार्थियों को कक्षा में उत्कृष्टता के लिये टूल्स और मौके देगा। इस पहल पर एमसीकेएस ट्रस्ट फंड के ट्रस्टी मास्टर डैनी ने कहा कि एमसीकेएस थ्राइव रूम के साथ हम मजबूत और बढ़ते विद्यार्थियों की एक पीढ़ी तैयार करना चाहते हैं, जो समाज पर सकारात्मक असर डालने के लिये निकलें। प्लक्षा के साथ गठजोड़ में यह पहल युवाओं के लिये बेहतर और ज्यादा स्वस्थ भविष्य निर्मित करने के हमारे विचार से पूरी तरह मेल खाती है। हमारा लक्ष्य विद्यार्थियों में उद्देश्य, सशक्तिकरण और संतुलन का भाव जगाना है और उन्हें अपने जीवन में बढ़ने के लिये जरूरी सही टूल्स देना है ।
इस पहल के बारे में आगे बताते हुए, प्लक्षा यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति प्रोफेसर रुद्र प्रताप ने कहा कि प्लक्षा में हम विद्यार्थियों की तंदुरुस्ती को नई कल्पना देना चाहते हैं। एमसीकेएस थ्राइव रूम शिक्षा के लिये हमारे सर्वांगीण तरीके का एक महत्वपूर्ण पहलू दिखाता है। हम समझते हैं कि पेचीदा समस्याओं को हल करने के लिये सिर्फ तकनीकी कुशलता नहीं, बल्कि दिमाग की सही स्थिति भी चाहिये। कैम्पस की जिन्दगी के हर पहलू में तंदुरुस्ती को जोड़कर हमारा लक्ष्य अपने विद्यार्थियों को पूरी स्पष्टता, मजबूती और समानुभूति के साथ चुनौतियाँ स्वीकार करनेके लिये सशक्त करना है, ताकि वे शैक्षणिक एवं निजी, दोनों तरीकों में विकसित हों।

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