भारतीय संस्कृति विज्ञान की संस्कृति हैय श्रीमति मंत्री मीनाक्षी लेखी,केंद्रीय राज्य मंत्री भारतीय, सिंधु-सरस्वती सभ्यता की उपज हैं, जो स्वयं निरंतरता और एकता की संस्कृति का उदाहरण है।य मीनाक्षी लेखी , राज्य मंत्री चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल डांस एंड म्यूजिक फेस्टिवल “एक दुनिया, कई संस्कृतियाँ” का आयोजन, विश्व को एक वैश्विक परिवार के रूप में में किया प्रर्दिशत

By Firmediac news Oct 22, 2023
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मोहाली 22 अक्तूबर । इंटरनेशनल डांस एंड म्यूजिक फेस्टिवल-2023 पूरी दुनिया को एक मंच पर एकजुट करने का सर्वश्रेष्ठ प्रयास है। सांस्कृतिक रूप से विविध देशों को एकजुट करने के लिए चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, घड़ूआं में रविवार (22 अक्टूबर) को एक विश्व, अनेक संस्कृतियाँ- विविधता में एकता का जश्न थीम पर इंटरनेशनल डांस एंड म्यूजिक फेस्टिवल-2023 का आयोजन किया गया।
इस इंटरनेशनल डांस एंड म्यूजिक फेस्टिवल-2023 में रोमानिया, मलेशिया, बुल्गारिया, इराक, चेक गणराज्य, किर्गिज गणराज्य, नेपाल, भूटान, कजाकिस्तान, तंजानिया और जाम्बिया सहित 40 से अधिक देशों के छात्रों और सांस्कृतिक कलाकारों द्वारा सौ से अधिक राष्ट्रीय और पारंपरिक नृत्य और संगीत प्रस्तुतियाँ का मंचन किया गया। इंटरनेशनल डांस एंड म्यूजिक फेस्टिवल-2023 का शुभारम्भ सीयू परिसर में खूबसूरत परेड से हुआ जिसमें सभी सांस्कृतिक दल पारम्परिक पोशाकों में शामिल हुए। परेड का समापन ऑडिटोरियम में हुआ जहां सभी टीमें ने अपने-अपने देशों के स्वदेशी संगीत और नृत्य संस्कृतियों की सुंदरता का खूबसूरती से प्रदर्शन किया।
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का आयोजन भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर), विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से किया गया था। इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री, भारत सरकार श्रीमती मीनाक्षी लेखी मुख्य अतिथि के रूप में तथा भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद(प्ब्ब्त्) के कार्यक्रम निदेशक, श्रीअमित सहाय सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के माननीय चांसलर सतनाम सिंह संधू, उपाध्यक्ष प्रोफेसर हिमानी सूद, अन्य गणमान्य व्यक्तियों और यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के साथ उपस्थित थे।
केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा, “भारत कजाकिस्तान और किर्गिस्तान जैसे स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल (सीआईएस) देशों के साथ गहरे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध साझा करता है, जो प्राचीन युग से चले आ रहे हैं। सांस्कृतिक क्षेत्र में, हमारी प्रथाओं, संगीत, संस्कृत सहित भाषा में बहुत सारी समानताएँ हैं। हालाँकि, 1947 में स्वतंत्रता के बाद, सीमाओं के परिणाम स्वरुप ये देश भारत से दूर हो गए लेकिन सांस्कृतिक जुड़ाव हमेशा बना रहा क्योंकि सीमाएं सांस्कृतिक एकता को ख़त्म नहीं करती है। एकता राष्ट्रों और संस्कृतियों के बीच समानताओं और मतभेदों के बारे में नहीं है, बल्कि यह चीजों को देखने का एक दृष्टिकोण है।”

उन्होंने आगे कहा, “हालांकि, विज्ञान आज हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है, लेकिन यह जानना महत्वपूर्ण है कि विज्ञान संस्कृति से अलग नहीं है, भारतीय संस्कृति विज्ञान की संस्कृति है। आज, सभी दवाओं में से 65ः से अधिक फाइटोकेमिकल्स हैं, जो आयुर्वेद की तरह ही पौधों से प्राप्त होते हैं। आज दुनिया भर में प्रचलित सभी विज्ञान और कलाएं भारतीय सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं जो हजारों साल पुराने विश्व इतिहास का हिस्सा रही है।
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर सतनाम सिंह संधू ने कहा भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए विरासत भी, विकास भी के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है, जिसका अर्थ है कि विरासत आर्थिक विकास, विविधीकरण और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति है।ष् इस कार्यक्रम का आयोजन विश्व को एक वैश्विक परिवार के रूप में एक साथ एक मंच पर लाने के लिए किया गया है। उन्होंने कहा,“इस मेगा सांस्कृतिक उत्सव ने दुनिया की एकता और अविश्वसनीय विविधता दोनों को प्रतिबिंबित किया है। यह हमारे लिए महत्वपूर्ण है कि हम विश्व संस्कृति की गरिमा को बढ़ावा दें और अपने युवाओं को इस संस्कृति का हिस्सा बनाएं ताकि हम सभी सामूहिक रूप से सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देते हुए एक बेहतर दुनिया बना सकें”।
उन्होंने कहा कि भारत के यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की संख्या बढ़कर 42 हो गई है, जिसमें सांस्कृतिक श्रेणी में 34 शामिल हैं। हाल ही में, पश्चिम बंगाल का प्रसिद्ध स्थान शांतिनिकेतन, जहां कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने एक सदी पहले विश्वभारती का निर्माण किया था, को भी विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया है।
इंटरनेशनल डांस एंड म्यूजिक फेस्टिवल-2023 के दौरान अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक दलों द्वारा प्रदर्शन
कजाकिस्तान के सांस्कृतिक दल ने नृत्य और संगीत की प्रस्तुतियां दीं। इस अवसर पर कजाकिस्तान के जाम्बिल क्षेत्र के अकरबेज नेशनल डांस एन्सेम्बल ने कारा झोगरा, गक्कू, शट्टीक और अक्कू जैसे कई नृत्य प्रदर्शन किए। जबकि कजाकिस्तान के सैलाउ अरायलिम अबायोवना ने इस विषय पर अपने विचार साझा किया, “आज के अंतर्राष्ट्रीय नृत्य और संगीत समारोह ने हमें अपने देश के सदियों पुराने सांस्कृतिक इतिहास को प्रतिबिंबित करने और इसे दुनिया के विभिन्न देशों के लोगों से परिचित कराने का अवसर दिया गया। भारत में प्रदर्शन करना और दुनिया भर की विविध संस्कृतियों के बारे में सीखना हमारे लिए सौभाग्य की बात थी। उन्होंने यह भी साझा किया कि कजाकिस्तान की 12 सदस्यीय टीम ने के. अजीरबायेव के नाम पर जम्बिल क्षेत्र के पारंपरिक नृत्य अक्करबेज का प्रदर्शन किया। इसके बाद देश के युवा कलाकारों द्वारा लोक नृत्य और संगीत प्रस्तुत किया गया।
इस अवसर पर बोलते हुए, किर्गिज गणराज्य से ओमोरोवा जमिला एमएस ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विश्व एकता और विविधता के आज के उत्सव का एक हिस्सा बनकर हम बेहद खुश है। उन्होंने आगे बताया कि किर्गिज दल ने सिम्बैट (राष्ट्रीय लोक नृत्य), स्नोफ्लेक और टेंडरनेस (शास्त्रीय नृत्य), ऐ-सेल्की (राष्ट्रीय किर्गिज नृत्य) और किर्गिज नृत्य का प्रदर्शन किया, जिसके माध्यम से कलाकारों ने मध्य एशियाई देश की सुंदर संस्कृति का प्रदर्शन किया। इस अवसर पर बोलते हुए, किर्गिज गणराज्य से ओमोरोवा जमिला एमएस ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विश्व एकता और विविधता के आज के उत्सव का एक हिस्सा बनकर हम बेहद खुश है। भूटान की टीम द्वारा जोएनपा लेग्सोश् का प्रदर्शन किया गया । जोएंपा लेग्सो दर्शकों और पूरे समारोह के स्वागत नृत्य के लिया किया जाता है जो सौभाग्य और आशीर्वाद देने के लिए किया जाता है। भूटान में इस नृत्य को करते समय पुरुष और महिलाएं पारंपरिक पोशाक पहनते हैं। नेपाल की टीम ने विवाह के अवसर पर किया जाने वाला दिश्का नृत्य और झिझिया नृत्य प्रस्तुत किया जो पश्चिमी और मध्य तराई में मैथिली समुदाय के बीच लोकप्रिय है। मलेशिया से सुगम कर्नाटका की सदस्य सुबात्रा जयसीलन ने कहा कि इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम वर्षों से बनी देश की सांस्कृतिक वैयक्तिकता के संरक्षण और प्रचार में योगदान देने का एक शानदार अवसर हैं। अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की सांस्कृतिक के सदस्यों द्वारा भांगड़ा भी प्रस्तुत किया गया। यह संगीत और नृत्य का अद्भुत मिश्रण है जो भारत के पंजाब क्षेत्र से उत्पन्न हुआ है।
सीयू के छात्रों द्वारा प्रस्तुत भांगड़ा टीम का हिस्सा रहे शरणजीत सिंह ने इस वैश्विक स्तर के कार्यक्रम इंटरनेशनल डांस एंड म्यूजिक फेस्टिवल कार्यक्रम के दौरान भारत का प्रतिनिधित्व तथा मेजबानी करने और देश की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने पर गर्व और विशेषाधिकार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ऐसे सांस्कृतिक उत्सवों का अक्सर आयोजन किया जाना चाहिए क्योंकि ये युवाओं को दु निया को समझने और उससे जुड़ने में सक्षम बनाते हैं।

 

 

 

 

 

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