मुख्यमंत्री को पुलिस अधिकारियों की तरह धमकी देने के बजाय कर्मचारी नेताओं से बातचीत का रास्ता तैयार करना चाहिएः प्रोः प्रेम सिंह चन्दूमाजरा
कहा, मुख्यमंत्री को अपने पद और हैसियत का ख्याल रखना चाहिए
Firmedia C News Channel Team
मोहाली 31 अगस्त । शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा है कि सरकार द्वारा दी गई नौकरियां और कलम एक सिस्टम और कानून के जरिए ही वापस की जा सकती हैं। मुख्यमंत्री को घुर्का और दबका वाले कलम छीनने का अधिकार नहीं है ।
गौरतलब है कि वीरवार को प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदू माजरा शिरोमणि अकाली दल हलका मोहाली कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इस अवसर पर हलका मोहाली के मुख्य सेवादार परविंदर सिंह सोहाना और खरड हल्का इंचार्ज रणजीत सिंह गिल विशेष रूप से उपस्थित थे।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि संवैधानिक और कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए माननीय राज्यपाल द्वारा दी गई चेतावनी से अगर मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी को तकलीफ होगी तो करोड़ों लोगों को अवैध और धमकी भरे लहजे में क्यों नहीं होगा। प्रोफेसर चंदूमाजरा ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री बिना छुट्टी के विदेशी राज्यों में अपना विमान ले जाते हैं और लोगों द्वारा दिए गए हरे स्याही वाले पेन को छोड़ देते हैं, तो बाढ़ की आपदा से पीड़ित लोगों और छत के बिना रोते-बिलखते लोगों एवम बच्चों को छोड़ कर सड़कों परयदि वे एक सप्ताह के लिए निकल सकते हैं, तो कर्मचारी, जो सरकार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, अपने अधिकारों को पाने के लिए सरकार के दरबार तक पहुंचने के लिए लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीका अपना कर अपना दिन क्यों नहीं व्यक्त कर सकते।
प्रोफेसर चंदूमाजरा ने कहा कि पटवारियों के पंद्रह सौ पद खाली क्यों हैं, इसके लिए सरकार जिम्मेदार है। बिना अतिरिक्त पैसा दिये, बिना आधिकारिक उत्तरदायित्व के अतिरिक्त कार्य क्यों लिये जाते हैं? डेढ़ साल के भीतर विभिन्न संस्थानों में ज्यादातर बाहरी राज्यों से भर्तियां क्यों हुईं? प्रोफेसर चंदूमाजरा ने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि क्या पंजाब के बच्चे बेकार हैं? उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा भर्ती के लिए दिए गए विज्ञापनों में 10वीं कक्षा तक पंजाबी भाषा की शर्त क्यों गायब हो गई है और सरकार फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच क्यों नहीं करती।
प्रोफेसर चंदूमाजरा ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल कर्मचारियों की जायज मांगों का पुरजोर समर्थन करता है। मौजूदा संकट के दौरान सरकार को टकराव का रास्ता छोड़ कर बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए । मुख्यमंत्री अपने तौर-तरीके बदलें। विधानसभा में पहले गवर्नर साहब के साथ और अब कर्मचारी वर्ग के साथ जो व्यवहार किया जा रहा है, वह न तो शोभा देता है और न ही उचित है।
प्रोफेसर चंदूमाजरा ने कहा कि मुख्यमंत्री को याद रखना चाहिए कि जनता के चुने हुए नेता जनता के सेवक हैं। तो फिर जब कर्मचारियों की अनुपस्थिति और संकट के समय एस्मा लगाया जा सकता है तो क्या मुख्यमंत्री के मंत्रियों की अनुपस्थिति पर भी एस्मा क्यों नहीं लगाया जा सकता है ? इस सवाल की मांग लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाले लोग कर रहे हैं। इस समय रणजीत सिंह गिल (हल्का प्रभारी खरड़), परविंदर सिंह सोहाना (हल्का प्रभारी मोहाली), सरबजीत सिंह पारस, गगनदीप सिंह बैदवान सोहाना, गुरचरण चेची, रमनदीप सिंह बावा, अमन पुनिया शामिल थे।