मोहाली 16 अक्तूबर (गीता)। मोहाली शहर में इन दिनों एक नहीं बल्कि कई जगहों पर रामलीला का जबरदस्त मंचन किया जा रहा है और इन रामलीला में दर्शकों की भारी भीड उमड रही है, मोहाली में मटौर स्थित श्री सत्य नारायण मंदिर, फेस-11 श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर के अलावा गांव सोहाना व अन्य जगहों पर रामलील का मंचन किया जा रहा है ।
मोहाली फेज-1 की श्री रामलीला एंव दशहरा कमेटी की की ओर से रामलीला के तीसरे दिन धनुष यज्ञ, परशुराम-लक्ष्मण संवाद और सीता स्वयंवर का मंचन किया गया। श्री रामलीला और दशहरा ग्राउंड में चल रहे इस भव्य रामलीला मंचन की तीसरी रात्रि में मिथिला नरेश जनक ने अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन करते हैं, जिसमें उनकी शर्त होती हैं कि जो शिव धनुष को तोड़ेगा उसी के साथ जानकी का विवाह संपन्न होगा। जनक के आमंत्रण पर स्वयंवर में अनेक देशों के राजाओं के साथ गुरू विश्वामित्र भी शामिल होने आते हैं, जिनके साथ राम और लक्ष्मण भी आते हैं। घोषणा होते ही एक-एक करके सभी राजा धनुष को तोड़ने के लिए जोर लगाते हैं, मगर उसे उठाने की कौन कहे कोई हिला तक नहीं सका। वहीं ऋषि विश्वामित्र राम को इशारे से धनुष तोड़ने की आज्ञा देते हैं। श्रीराम द्वारा धनुष उठाते ही वह टूट गया।
धनुष टूटते ही पूरे पंडाल में जय श्री राम के गगनभेदी नारे लगने लगते हैं। तभी भरी सभा वहां क्रोधित परशुराम पहुंच जाते हैं और धनुष के टूटने पर क्रोधित हो उठते हैं। इसके बाद लक्ष्मण और परशुराम के बीच तीखा संवाद होता है। इसके पश्चात धूमधाम से भगवान श्रीराम व सीता जी का विवाह संपन्न होता है। सीता स्वयंवर को देखने के लिए हजारों की तादाद लोग पहुंचे हुए थे।