पर्यावरण-अनुकूल चंडीगढ़ की रणनीतियों पर यूटी पर्यावरण स्थायी समिति ने किया विचार-विमर्श
मोहाली 5 अगस्त (गीता)।यूटी पर्यावरण स्थायी समिति ने चंडीगढ़ के जरूरी पर्यावरणीय मुद्दों पर तत्काल चर्चा और नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण से उनका समाधान हेतु पर्यावरण भवन, सेक्टर 19, में एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष स. सतनाम सिंह संधू ने की, जो चंडीगढ़ वेलफेयर ट्रस्ट (सीडब्ल्यूटी) के संस्थापक भी हैं।
बैठक के दौरान, चंडीगढ़ के जरूरी पर्यावरण सम्बंधित मुद्दों पर गहरा विचार-विमर्श कर उन्हें प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए कई सुझाव रखे गए। साथ ही, चंडीगढ़ के विभिन्न सरकारी निकायों और संगठनों, नीति निर्माताओं और आम जनता द्वारा पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं के बेहतर पालन के लिए रणनीतियों पर भी चर्चा की गई। यूटी प्रशासन के विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने इस बैठक में हिस्सा लिया, जिनमें श्री हरदीप सिंह बुटेरला, स. युद्धवीर सिंह करुआ, सुश्री भारती, और अरुलराजन पी, और पर्यावरण समिति के अन्य सम्मानित सदस्य शामिल रहे।
बता दें, इससे पहले यूटी स्थायी समिति ने 13 जुलाई को एक विशेष बैठक की थी, जिसका उद्देश्य चंडीगढ़ और शहर के आसपास के गांवों में हुई भारी बारिश के व्यापक नुकसान का आकलन करना था। उस दौरान सतनाम सिंह संधू, जो यूटी सलाहकार परिषद के सदस्य भी हैं, ने शहर के बारिश प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर स्थानीय निवासियों से बातचीत की थी और जरूरतमंद लोगों को सीडब्ल्यूटी की तरफ से मदद की पेशकश की थी।
शुक्रवार को हुई इस बैठक के दौरान, पर्यावरण की सुरक्षा के साथ-साथ शहर की विविध वनस्पतियों और जीवों को संरक्षित करने के लिए दोनों अल्पकालिक और दीर्घकालिक रणनीतियों पर विशेष रूप से विचार-विमर्श हुआ। चंडीगढ़ में पार्कों, आसपास के क्षेत्रों, और अन्य स्थलों में जल जमाव को रोकने, शहर के हरित आवरण को बढ़ाने, अपशिष्ट निपटान के बेहतर विकल्प हेतु जागरूकता अभियान चलाने, और सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध सुनिश्चित करने, इत्यादि रणनीतियों पर चर्चा की गई। इसके अलावा, बैठक में शामिल हुए अधिकारियों ने मण्डी विक्रेताओं के लिए पंजीयन कार्ड जारी किये जाने का भी प्रस्ताव रखा।
सिंगल-यूज प्लास्टिक प्रतिबंध को सख्ती से लागू करना
बैठक में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए समिति के अध्यक्ष स सतनाम सिंह संधू ने चंडीगढ़ की मंडियों में सिंगल यूज प्लास्टिकस का बड़े पैमाने पर उपयोग जैसी प्राथमिक चुनौतियों पर प्रकाश डाला और साथ ही उनके प्रतिबन्ध पर भी जोर दिया। समिति ने यह गौर किया है कि सिंगल-यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बावजूद, सब्जी बाजारों में इसकी अवहेलना कर प्लास्टिक का उपयोग किया जा रहा है, जो चिंता का कारण है। समिति के सभी सदस्यों ने चंडीगढ़ की बाजार समिति को मंडियों में विक्रेताओं का पंजीकरण शुरू करने का प्रस्ताव दिया है।
बैठक में उठायी गई दूसरी चिंता का विषय चंडीगढ़ के उन क्षेत्रों में स्वच्छता और साफ-सफाई के आभाव को लेकर थी जो नगर निगम (एमसी) के अंतर्गत नहीं हैं। पैनल के सदस्यों ने यह देखा कि चंडीगढ़ एमसी ने अब तक स्रोत पर 97 प्रतिषत कचरा पृथक्करण हासिल कर लिया है, जिसकी समिति ने सराहना की। हालाँकि, नागरिक निकाय को इसे 100 प्रतिशत हासिल करने के लिए कहा गया ताकि चंडीगढ़ वार्षिक स्वच्छ सर्वेक्षण में आगे बढ़ा सके।
शहर में हरित आवरण बढ़ाने पर देंगे महत्व
बैठक के दौरान शहर में हरित आवरण को बढ़ाए जाने की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई। हालांकि, चंडीगढ़ में हरित आवरण संतोषजनक है, लेकिन शहर के दक्षिणी क्षेत्रों में वृक्ष और वन क्षेत्र को बढ़ाने की काफी गुंजाइश है। बागवानी और अन्य विभागों के सहयोगात्मक प्रयासों से सुधार का आग्रह करते हुए, पैनल ने नए पौधों के पोषण और अतिरिक्त हरित स्थान स्थापित करने के लिए उपलब्ध भूमि पर समय-समय पर वृक्षारोपण अभियान का प्रस्ताव रखा। इस दौरान इस बात पर प्रकाश डाला गया कि शहर के उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्रों में हरित आवरण के बीच स्पष्ट अंतर है, जिसे दक्षिणी हिस्से में सुधार से पूरा किया जा सकता है। उन्होंने तीन से चार जगह बंजर भूमि की भी पहचान की है जिनमें हरित स्थान बनने की संभावना है। बैठक के दौरान, सतनाम सिंह संधू ने मानसून के मौसम में जल जनित बीमारियों के प्रसार से बचने के लिए पार्कों और सार्वजनिक स्थानों में जल जमाव के प्रभावी प्रबंधन पर जोर दिया। उन्होंने तूफान और बरसात के मौसम के दौरान फलदार और बड़े पेड़ों के गिरने से दुर्घटनाओं, यातायात की भीड़ और स्थानीय क्षति के मुद्दे को भी उठाया जो एक और महत्वपूर्ण चिंता का कारण है।
इसके अलावा मीटिंग के दौरान समिति की पिछली बैठक की कार्रवाई रिपोर्ट पर भी चर्चा की गई। सदस्यों को बताया गया कि सूखे कचरे और गीले कचरे के प्रसंस्करण के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध तकनीक के चयन तथा तकनीकी सहायता के लिए नीरी को लगाया गया है। शहर में उत्पन्न ई-कचरे को अन्य राज्यों से अधिकृत ई-कचरा पुनर्चक्रणकर्ताओं के माध्यम से एकत्र किया जाता है, फिरअलग किया जाता है, नष्ट किया जाता है, पुनर्चक्रित किया जाता है,