मोहाली 1 सितंबर (गीता)। रयात बाहरा यूनिवर्सिटी की ओर से ‘बराबरी को गले लगाओ’ थीम पर औरतों के लिए बराबरी के अधिकारों और मौकों के लिए चल रहे संघर्ष को विश्व स्तर पर मान्यता दिलाने के लिए महिला समानता दिवस मनाया गया। यह विश्य ना सिर्फ आर्थिक विकास के लिए, बल्कि एक बुन्यादी मानवीय अधिकार के तौर पर भी लिंग समानता प्राप्त करने के महत्त्व को रेखांकित करता है।
इस मौके केंद्रीय यूनिवर्सिटी, इलाहाबाद से प्रो.गुरपिन्दर कुमार प्रोग्राम के मुख्य वक्ता थे। उन्होंने भारत और विदेशों में औरतों की समानता बारे विस्तार के साथ अलग-अलग तथ्यों और आंकडों को सूचीबद्ध किया। उन्होंने कहा कि महिला समानता दिवस प्राप्तियों को मान्यता देना, चल रहीं चुणौतियों को स्वीकार करने और लिंग समानता के लिए सामूहिक तौर पर काम करने के लिए सालाना वचनबद्धता के तौर पर खडा है।
इस दौरान रयात बाहरा यूनिवर्सिटी के चांसलर गुरविन्दर सिंह बाहरा ने कहा कि रयात बाहरा यूनिवर्सिटी औरतों को मानसिक और पेशेवर तौर पर उत्शाहित और समर्थन देकर अलग -अलग क्षेत्रों में औरतों को बराबरी प्रदान करने के लिए वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि लड़कियों के लिए शिक्षा के अधिकार को उत्शाहित करने के लिए यूनिवर्सिटी की ओर से कई सकीमें चलाईं गईं हैं। इस मौके बोलते वाईस-चांसलर डा. परविन्दर सिंह ने प्राप्तियों को पहचानने और लिंग समानता के लिए समूहिक तौर पर काम करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पिछले दशकों दौरान तरक्की हुई है, पर विश्व 2030 तक्क लिंग समानता हासिल करने के राह पर नहीं है।
स्टूडैंटस वैलफेयर की डीन डा. सिमरजीत कौर ने जोर देकरकहा कि लिंग समानता को आगे वढाने वाले कानून्नों, नीतियों, बजटों और संस्थाओं को आगे बढाने समेत तरक्की को तेज करने के लिए वचनबद्धता और आवश्यक कारवाई की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लिंग समानता ना सिर्फ एक बुनयादी मानवीय अधिकार है, बल्कि एक शांतीपूर्ण, खुशहाल और टिकाऊ संसार के लिए एक जरूरी नींव है।