विश्व स्तनपान सप्ताह
स्तनपान से एंटीबॉडीज मिलती है और इम्युनिटी क्षमता बढ़ती हैः डॉ. सुनील अग्रवाल
मोहाली 7 अगस्त (गीता)। मातृत्व एक परिवर्तनकारी अनुभव है और एक महिला के जीवन में नया अर्थ लाता है। मां के दूध में आवश्यक प्रोटीन, वसा, विटामिन और कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जो बच्चे को संक्रमण और बीमारी से बचाते हैं। यह बात फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली के नोनटोलॉजिस्ट डॉ. सुनील अग्रवाल ने विश्व स्तनपान सप्ताह 2023 के अवसर पर जारी एक एडवाइजरी के दौरान कही।
स्तनपान के चलन को प्रोत्साहित करने के लिए हर साल दुनिया भर में 1-7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। विश्व स्तनपान सप्ताह 2023 की थीम है लेट्स मेक ब्रेस्टफीड एंड वर्क, वर्क! इस वर्ष का अभियान उन प्रथाओं को बढ़ावा देने पर केंद्रित है जो विभिन्न देशों में कार्यस्थल से संबंधित स्तनपान का समर्थन करने में मदद कर सकते हैं। डॉ. सुनील कुमार अग्रवाल ने कहा कि आधे बिलियन से अधिक कामकाजी महिलाओं को राष्ट्रीय कानूनों में आवश्यक मातृत्व सुरक्षा नहीं दी जाती है। इस वर्ष की थीम आवश्यक मातृत्व अधिकारों की वकालत करने के लिए एक रणनीतिक अवसर प्रदान करेगी – न्यूनतम 18 सप्ताह के लिए मातृत्व अवकाश, आदर्श रूप से 6 महीने से अधिक, और इस बिंदु के बाद कार्यस्थल पर आवास। आधे अरब से अधिक कामकाजी महिलाओं को बुनियादी मातृत्व प्रावधान नहीं दिए जाते हैंय जब कई लोग काम पर वापस जाते हैं तो खुद को असमर्थित पाते हैं। डॉ. अग्रवाल ने एक सलाह में मां के दूध के फायदे और बच्चों को स्तनपान कराने के महत्व के बारे में बताया कि स्तनपान अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसे बच्चे के लिए पहला टीका माना जाता है। शिशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और उन्हें संक्रमण होने का खतरा रहता है। माँ के दूध में आवश्यक पोषक तत्व होते हैं जो कई बीमारियों के खिलाफ अवरोधक के रूप में कार्य करते हैं और आदर्श पोषण प्रदान करते हैं। स्तनपान एंटीबॉडीज प्रदान करता है और प्रतिरक्षा को बढ़ाता है, बच्चे के स्वस्थ वजन को बढ़ावा देता है, टाइप 1 और 2 मधुमेह का खतरा कम करता है, कैंसर, लिम्फोमा, एलर्जी, एक्जिमा और अस्थमा की संभावना कम करता है। स्तनपान करने वाले शिशुओं को दस्त, सर्दी और फ्लू से पीड़ित होने की संभावना कम होती है। यह अभ्यास माँ और बच्चे के बीच भावनात्मक जुड़ाव बनाने में भी मदद करता है। स्तनपान शिशुओं के लिए कितना फायदेमंद है पर जोर देते हुए डॉ अग्रवाल ने बताया कि माँ का दूध आसानी से पचने योग्य होता है, नवजात शिशुओं को पहले महीने के दौरान प्रतिदिन लगभग 8-12 बार माँ का दूध दिया जाना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन का सुझाव है कि जन्म के पहले घंटे के भीतर माँ का दूध शुरू किया जाना चाहिए, और फिर जीवन के पहले छह महीनों तक विशेष रूप से दिया जाना चाहिए। इसके बाद दो साल और उससे अधिक समय तक उचित पूरक आहार के साथ स्तनपान जारी रखा जाता है।
स्तनपान माताओं की किस प्रकार मदद करता है, पर बात करते हुए डाॅ अग्रवाल ने बताया कि शिशुओं को स्तनपान कराने से न केवल स्तनपान कराने वाली माताओं की सेहत में सुधार होता है, बल्कि रूमेटाइड अर्थराइटिस और ल्यूपस के अलावा स्तन कैंसर, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, गर्भाशय कैंसर और डिम्बग्रंथि के कैंसर जैसी बीमारियों के विकसित होने का खतरा भी कम हो जाता है।