पंजाब में गवर्नर और CM में टकराव; विधयेक नहीं पास कर रहे पुरोहित, भगवंत मान को लेटर लिखकर कही यह बात

Punjab Governor vs CM MannPunjab Governor vs CM Mann
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Punjab Governor vs CM Mann: पंजाब सरकार में अंदरूनी टकराव पैदा हो रखा है, जो कि थमने का नाम नहीं ले रहा. दरअसल, एक बार फिर गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच लेटर वाली जंग शुरू हो गई है और मुद्दा है सिख गुरुद्वारा (संशोधन) विधेयक, 2023। दरअसल, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बीते शनिवार गवर्नर पुरोहित को एक लेटर लिखा और यह शिकायत की वह विधेयक पर साइन नहीं कर रहे हैं। जबकि विधेयक कई दिनों से उनके पास है। मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना था साइन न करने का मतलब पंजाब के लोगों की लोकतांत्रिक इच्छा को दबाने जैसा है और इससे पवित्र गुरबाणी सुनने वाले दुनिया के लाखों श्रद्धालु प्रभावित होंगे। उनकी धार्मिक भावनाएं गंभीर रूप से आहत होंगी।

बतादें कि, मुख्यमंत्री भगवंत मान के इसी लेटर का अब गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित ने जवाब दिया है। गवर्नर पुरोहित ने भी भगवंत मान को एक लेटर जारी किया और लिखा- ”आपके दावे से ऐसा प्रतीत होता है कि आप ‘एक विशेष राजनीतिक परिवार’ के कुछ कार्यों से चिंतित हैं और इसी के चलते आप विधेयक को पारित करने के लिए प्रेरित हुए हैं। आपने यह भी कहा है कि विधेयक पर तुरंत साइन करने में मेरी ओर से किसी भी देरी के संभावित परिणाम सही नहीं होंगे। आपने कहा कि, ऐसा करने से पंजाब के लोगों की लोकतांत्रिक इच्छा का गला घुटेगा।”

गवर्नर पुरोहित ने भगवंत मान को आगे लिखा- ”जो मामला आपकी निजी धारणा का प्रतीत होता है, उसमें मैं आपसे कुछ भी कहना नहीं चाहता। लेकिन मैं यह बताना चाहता हूं कि एक राज्यपाल के रूप में मुझे भारत के संविधान द्वारा यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है कि विधेयकों को कानून के अनुसार पारित किया जाए। गवर्नर ने कहा कि, अपने कर्तव्यों का कर्तव्यनिष्ठा से निर्वहन करने के लिए मैंने कानूनी सलाह प्राप्त की है, जिससे मुझे विश्वास हो गया है कि आपके द्वारा 19 और 20 जून को विधानसभा सत्र बुलाना कानून प्रक्रिया का उल्लंघन था और इस दौरान चार विधेयक भी पारित किए गए थे। जिससे उन विधेयकों की वैधता और वैधानिकता पर संदेह पैदा हो गया है। ”

गवर्नर ने आगे लिखा- ”प्राप्त कानूनी सलाह से मैं सक्रिय रूप से इस बात पर विचार कर रहा हूं कि क्या विधेयकों पर भारत के अटॉर्नी जनरल से कानूनी राय प्राप्त की जाए या संविधान के अनुसार इन विधेयकों को भारत के राष्ट्रपति के विचार और सहमति के लिए छोड़ाजाए। गवर्नर ने अंत में लिखा- पंजाब के लोग यह सुनिश्चित करने के लिए समान रूप से चिंतित हैं कि जो कानून अंततः उन्हें प्रभावित करते हैं, उन्हें उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद ही पारित किया जाए। फिलहाल आप निश्चिंत रहें कि 19 और 20 जून को आयोजित विधान सभा सत्र की वैधानिकता की विधिवत पूरी जांच कराकर ही मैं आगे की विधि सम्मत कार्यवाही करूँगा।”

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