चंडीगढ़
लोकसभा चुनावों से पहले शिरोमणि अकाली दल को बड़ा झटका लगा है। यहां से शिरोमणि अकाली दल के लोकसभा उम्मीदवार हरदीप सिंह बुटेरला ने टिकट लौटाने के साथ पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। शिरोमणि अकाली दल चंडीगढ़ में बीजेपी से गठबंधन टूटने के बाद पहली बार अपने लोकसभा उम्मीदवार की घोषणा की थी। हरदीप सिंह बुटेरला की बीजेपी के संजय टंडन और कांग्रेस की तरफ से मैदान में उतारे गए मनीष तिवारी से टक्कर थी। इस तरह से चंडीगढ़ लोकसभा चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया था। बुटेरला ने आरोप लगाया है कि चुनाव लड़ने से पहले पार्टी के सामने मांग रखी थी कि चंडीगढ़ में शिरोमणि अकाली दल पहली बार चुनाव लड़ रहा है। इसलिए चंडीगढ़ में चुनाव लड़ने के लिए सीनियर नेताओं की जरूरत पड़ेगी, लेकिन पार्टी के प्रधान सुखबीर सिंह बादल आज भी 13 सीटों पर प्रचार कर रहे हैं। 14वीं सीट को वह भूल गए हैं।
चंडीगढ़ अकाली दल की सभी इकाई भंग
हरदीप सिंह चंडीगढ़ अकाली दल के प्रधान और नगर निगम में पार्टी के इकलौता पार्षद हैं। हरदीप सिंह ने ऐलान किया है कि उनके साथ-साथ चंडीगढ़ अकाली दल की सभी इकाइयों के प्रधानों ने भी इस्तीफा दे दिया है। वह किसी दूसरी पार्टी में नहीं जाएंगे। वह सिर्फ पार्टी की नीतियों से परेशान होकर पार्टी छोड़ रहे हैं। बुटेरला ने कहा कि मैं एक गरीब किसान का बेटा हूं। मैं अकेले चुनाव नहीं लड़ सकता। मुझे पार्टी फंड की जरूरत थी, लेकिन पार्टी की तरफ से मुझे फंड नहीं दिया गया। मैंने 3 बार अपने दम पर चुनाव लड़कर नगर निगम के पार्षद का चुनाव जीता है। बता दें कि बुटेरला निवासी और तीन बार पार्षद रहे 41 वर्षीय हरदीप की चंडीगढ़ के गावों में अच्छी पकड़ मानी जाती है। 2006 और 2011 में हरदीप के पिता गुरनाम सिंह और भाई मल्कियत सिंह चंडीगढ़ नगर निगम के पार्षद चुने गए थे। इसके बाद हरदीप 2015 (भाई की मृत्यु के बाद), 2016 और 2021 में पार्षद बने। वह सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर भी बने। वहीं 2018 में, हरदीप को चंडीगढ़ के शिअद प्रमुख के रूप में चुना गया था।