(खरड़) दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा सिटी हार्ट व साची होम्स पार्क, जनता नगर खरड़ में तीन दिवसीय भगवान शिव कथा का आयोजन किया जा रहा है। जिसके प्रथम दिवस में संस्थान के संचालक एवं संस्थापक श्री आशुतोष महाराज जी की परम् शिष्या साध्वी मीनाक्षी भारती ने सती प्रसंग का व्याख्यान करते हुए बताया कि देवी सती प्रभु श्री राम को देखकर भ्रम की स्थिति में पहुंच जाती है। भ्रम एक ऐसी अवस्था है जिसके अंतर्गत सत्य, असत्य सा प्रतीत होने लगता है तथा असत्य, सत्य भासित होने लगता है। ऐसी अवस्था में हम सांसारिक वस्तुओं को भी सही ढंग से नही देख पाते। जैसे दूर से चमकते रेत के कण हमें पानी दिखाई देते हैं, इसी तरह हमें आकाश नीला दिखाई देता है जबकि वह रंगहीन है। सूर्य पूर्व से पश्चिम का सफ़र तय करता दिखाई देता है जबकि सूर्य स्थिर रहता है। पृथ्वी उसके चारों ओर चक्कर काटती है। ट्रेन में बैठे हुए बाहर के वृक्ष, नज़ारे आदि चलायमान दिखते हैं, जबकि हकीकत में ट्रेन गतिमान होती है। रेल की पटरियों के एक छोर पर खड़े होकर देखने से आगे जाकर पटरियाँ आपस में मिलती हुई प्रतीत होती हैं, परन्तु पटरियों का संगम नही होता, रेल की पटरियां सदैव समानांतर होती हैं। सागर किनारे खड़े होकर दूर तक देखने में सागर और आकाश आपस में मिलते हुए दिखते हैं, परन्तु धरती और ऐसा कोई भी स्थान नहीं है जहां सागर और आकाश का मिलन होता हो। अपवर्तन के नियम के कारण एक कांच के बर्तन में आधा डूबा हुआ पैन टेड़ा या मुड़ा हुआ लगता है।
आगे साध्वी जी ने समझाते हुए कहा कि जिस प्रकार हमारी ये आंखें सांसारिक पदार्थों को भी ढंग से नही देख पाती फिर उस परमात्मा को इन बाह्य नेत्रों से किस प्रकार समझा जा सकता है। उसे समझने के लिए दिव्य दृष्टि की आवश्यकता है, जो प्रत्येक मानव के दोनों भृकुटियों के मध्य में स्थित है। जिसे एक पूर्ण ब्रह्मनिष्ठ संत की कृपा से प्राप्त किया जाता है। इस दिव्य दृष्टि को प्राप्त कर इंसान भ्रम की दुनिया से बाहर आता है तथा वास्तविक रूप से ईश्वर का दर्शन कर पाता है। कथा के अंतर्गत साध्वी मंजीत भारती, साध्वी आरती भारती, साध्वी परा भारती एवं साध्वी क्रालिका भारती ने सुमधुर भजनों का गायन एवं वाद्य यंत्रों का वादन कर आये हुए भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रथम दिवस कथा को विराम भगवान भोलेनाथ की पावन आरती कर के दिया गया।