मोहाली 20 जुलाई (गीता)। लाखों की घनी आबादी वाले गांव बलौंगी के साथ सटी हजारों प्रवासी लोगों की अंबेडकर कालोनी को जाने वाले रास्ते के बीच आने वाली नदी पर बने पुल की हालत कापफी खस्ता हो चुकी है जिसके चलते स्थानीय लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड रहा है और उनको अपने जान-माल का भय सता रहा है, इतना ही नहीं कालोनी के लोगों का कहना है कि यदि गत दिनों की तरह दूबारा से कोई बरसात इसी तरह की हुई तो वह पुल पूरी तरह से तबाह हो जायेगा और वह कैद हो कर रह जाएगें।
कालोनी के रहने वाले पंच, समाज सेवी मनीश कुमार, विजय पाठक, विरिगुनाथ गिरी के अलावा अन्य स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि पुल का समय रहते रिपेयर न किया गया तो पुल नदी मे बह जाएगा और कोई बडा हादस हो सकता है। कालोनी के लोगों का कहना है कि कालोनी की लगभग 16 से 17 हजार के करीब आबादी है और एक पुल एक मातर पुल है जो प्रवासी कालोनियों को लिंक करता है। उनहोंने बताया कि पुल को बने 5 साल के करीब हो चुका है और नदी पर बना पुल जमीन स्तर से नीचे हो गया है और आस-पास से मिटृटी घिस चुकी है। इसके अलावा पुल के साइडों पर कोई भी दीवार आदि नहीं है जिसके चलते रात के समय पुल पार करना और भी खतरे भरा होता है। कालोनी के लोगों ने स्थानीय विधायक कुलवंत सिंह, मोहाली प्रशासन और मौजूदा कालोनी के सरपंच से अपील की है कि खस्ता हाल पुल के रिपेयर के लिए जल्द से जल्द कोई बडा कदम उठाया जाए ताकि भविष्य में किसी अप्रिय घटना के घटने से बचाव किया जा सके।
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प्रशासन दे परमिशन, समाज सेवी संस्थाएं पुल अपने खर्चे पर बनाने को तैयार
मोहाली। मौके पर उपस्थित समाज सेवी मनीश कुमार और पंच विजय पाठक व अन्य लोगों ने बताया कि पुल की हालत को देख कर कालोनी लोगों के जान-माल की रक्षा के खातिर पुल को रिपेयर करने या नया बनाने के लिए समाज सेवी संस्थाएं तैयार हैं और कई संपर्क भी कर रही है कि प्रशासन पुल को बनाने के लिए लिखित में परमिशन दें दे तो वह अपने जेब खर्चे से पुल को बनवा देगी।
मौजूदा महिला सरंपच ने आरोपों को नाकारा, कहा पुल जरूर बनना चाहिए
मोहाली। उपरोक्त मामले पर संपर्क करने पर बलौंगी कालोनी की महिला सरपंच सरोजा देवी का कहना है िक वह कालोनी के लोगों खिलाफ नहीं है, वह तो स्वंय चाहती है कि यह पुल बनना चाहिए, लेकिन पुल पटियाला की राव नदी में बना हुआ है,लेकिन कानूनी अडचने करके वह भी असमर्थ हैं, लेकिन समाज सेवी संस्थाएं या कोई परमिशन ले कर आ जाए तो वह भी पंचायत के खर्चे से नहीं बल्कि अपनी जेब के खर्चे से अपना बना योगदान पुल बनाने में देने को तैयार हैं।