विभिन्न धर्मों उपदेशकों ने  दुनिया में शांति का प्रचार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की

By Firmediac news Jul 19, 2023
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विभिन्न धर्मों उपदेशकों ने  दुनिया में शांति का प्रचार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की

लद्दाख में विभिन्न धर्मों के धार्मिक नेउपदेशकों ने किए शांति घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर

लद्दाख में विश्व शांति पर कार्यक्रम: भारत के सबसे ऊंचे पठार से शांति और सद्भाव का आह्वान

वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए दुनिया पीएम मोदी की ओर देख रही हैलद्दाख विश्व शांति कार्यक्रम में विभिन्न धर्मों के उपदेशकों  का विश्वास

 Firmedia c news channal team

तीन दिवसीय विश्व शांति सम्मलेन एवं  शांति पद यात्रा , शांति और सद्भाव के उद्देश्य से लेह लद्दाख में संपन्न हुई।  इस आयोजन में बौद्ध भिक्षुओं और श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों ने भाग लिया।  इस अवसर दस सूत्री लद्दाख शांति घोषणा पर भी हस्ताक्षर किए गए। जिसका उद्देश्य विश्व में शांति एवं सद्भाव का प्रचार कर एकता एवं एकजुटता का सन्देश देना है। आज की दुनिया युद्ध, आतंकवाद, उथल-पुथल और विभिन्न प्रकार की हिंसा और गृह युद्धों जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है, जिस ने दुनिया को अशांति, अविश्वास और तनाव की स्थिति में पहुंचा दिया है। पूरी दुनिया सत्ता, प्राकृतिक संसाधनो, धार्मिक मुद्दों तथा हर छोटी- बड़ी बात पर हिंसा का प्रयोग कर रही है।  यह मानव जाति के लिए चिंता का विषय है।  ऐसे समय में शांति और सद्भाव का महत्व और भी बढ़ जाता है। दुनिया भूल गई है कि सभी समस्याओं का हल शांतिपूर्वक तथा बातचीत द्वारा किया जा सकता है।

धार्मिक उपदेशकों और सामुदायिक नेताओं ने दुनिया में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव के संदेश को प्रचारित करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की सराहना की। लद्दाख में विश्व शांति सम्मेलन के प्रतिभागियों और उपस्थित लोगों ने महसूस किया कि बातचीत और आपसी समझ के माध्यम से प्रत्येक वैश्विक मुद्दों का समाधान खोजने के लिए पीएम मोदी द्वारा दिए गए वैश्विक आह्वान ने उन्हें वैश्विक शांतिदूत बना दिया है। चूँकि आज दुनिया मानवता के लिए कई खतरों का सामना कर रही है कई देश सीमा पार संघर्ष, सामाजिक अशांति, आतंकवाद और दमन का सामना कर रहे हैं  ऐसे में  समस्त वैश्विक समुदाय आशा और सकारात्मकता के साथ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की ओर देख रहा है।  उनका मानना है शांतिपूर्ण तरीकों के माध्यम से संघर्षों को समाप्त करने के लिए समाधान खोजने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतर्राष्ट्रीय टीम गठबंधन का नेतृत्व करेंगे।

17 जुलाई को लेह, लद्दाख में आचार्य नागार्जुन ऑडिटोरियम सीआईबीएस में विश्व शांति अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विभिन्न देशों के गुरु और प्रतिष्ठित विद्वान एक साथ एक मंच पर एकत्रित हुए और उन्होंने यहाँ अपने विचार व्यक्त किए।

सम्मेलन में लगभग सात देशों के बौद्ध भिक्षुओं और श्रद्धालुओं ने भाग लिया, जहां बौद्ध दर्शन और विचार की मदद से समकालीन वैश्विक चुनौतियों से कैसे निपटा जाए, इस पर विचार-विमर्श किया गया। महाबोधि इंटरनेशनल मेडिटेशन सेंटर (एमआईएमसी) लद्दाख द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में थाईलैंड, नेपाल, वियतनाम, श्रीलंका, भूटान और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों के भिक्षुओं ने भाग लिया, जो विभिन्न देशों के बौद्ध भिक्षुओं की एक बड़ी सभा के एक दिन बाद आयोजित किया गया था। अन्य धार्मिक निकायों के नेताओं और छात्रों ने विश्व शांति को बढ़ावा देने के लिए शांति पदयात्रा निकाली। सम्मेलन में विभिन्न धर्मों के लगभग 2500 नेताओं, भक्तों और प्रतिष्ठित विद्वानों ने भाग लिया, जिसमें भारतीय अल्पसंख्यक फाउंडेशन (आईएमएफ) के संयोजक सतनाम सिंह संधू भी शामिल थे।

इस अवसर पर, विभिन्न धर्मों के प्रमुख नेताओं ने दस सूत्री लद्दाख शांति संकल्प पर भी हस्ताक्षर किए, जिसमें अहिंसा के प्रति प्रतिबद्धता और शांति के लिए समर्पण का आह्वान शामिल था। शांति संकल्प में रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम का आह्वान करने के अलावा सर्व-धर्म सद्भाव और क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया।

लेह, जामयांग में विश्व शांति सम्मेलन में बोलते हुए लद्दाख से सांसद सेरिंग नामग्याल ने महाबोधि इंटरनेशनल मेडिटेशन सेंटर (एमआईएमसी) के संस्थापक भिक्खु संघसेना के शब्दों का समर्थन किया, जिन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को ‘कर्मयोगी’ कहा था।उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया में शांति स्थापित करने के लिए अपनी निरंतर प्रतिबद्धता के माध्यम से खुद को ‘कर्मयोगी’ तथा वैश्विक स्तर के आध्यात्मिक नेता के रूप में साबित किया है। वह बौद्ध धर्म को पुनर्जीवित करने और बुद्ध की शिक्षाओं को प्रसारित करने का प्रयास कर रहे हैं

। इस वर्ष दिल्ली में वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन 2023 आयोजित करने का उनका निर्णय बौद्ध समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक पहल साबित हुआ है , जिसने 30 से अधिक देशों के आध्यात्मिक नेताओं, अनुयायियों और विद्वानों को एक आम मंच प्रदान किया है।

 

सम्मेलन में भारत में थाईलैंड की राजदूत महामहिम सुश्री पट्टारत होंगटोंग, जामयांग त्सेरिंग नामग्याल, लद्दाख से संसद सदस्य; भारतीय अल्पसंख्यक फाउंडेशन (आईएमएफ) के संयोजक सतनाम सिंह संधू; भिक्खु संघसेना, एमआईएमसी के संस्थापक और अध्यक्ष; वेन. वर्ल्ड एलायंस ऑफ बुद्धिस्ट्स (डब्ल्यूएबी), थाईलैंड के अध्यक्ष डॉ. पोर्नचाई पलावाधम्मो; गगन मलिक, फ़िल्म अभिनेता; अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) के निदेशक डॉ. रवींद्र पंथ और इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एजुकेटर्स फॉर वर्ल्ड पीस (आईएईडब्ल्यूपी) के अध्यक्ष डॉ. प्रिया रंजन त्रिवेदी सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान विभिन्न धर्मों के कई नेताओं ने भी संबोधित किया और अपने शांति संदेश साझा किए, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में शांति और सद्भाव का संदेश फैलाना था। यह सम्मेलन थाईलैंड के 150 बौद्ध भिक्षुओं और आम लोगों की 32 दिवसीय पद यात्रा के लेह के शांति स्तूप पर समापन के एक दिन बाद आयोजित किया गया था।

भारत में थाईलैंड की राजदूत, महामहिम सुश्री पट्टारत होंगटोंग ने कहा, “बौद्ध धर्म ने हमें सबसे पहले आंतरिक शांति की शिक्षा दी है, जिसे ध्यान के माध्यम से और भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का अभ्यास करके प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि आप मन शांत हो तभी अपना ध्यान केंद्रित कर सकते हैं शांतिपूर्वक कार्यों को पूर्ण कर सकते है ।

थाईलैंड की राजदूत महामहिम सुश्री पट्टारत होंगटोंग ने इस वार्ता के दौरान अपने विचार साझा करते हुए कहा कि भारत और थाईलैंड दोनों ही देश शान्ति और प्रेम में विश्ववास करते हैं इसलिए दोनी ही देशसाथ मिलकर दुनिया में शान्ति और प्रेम का प्रचार कर रहे है। भारत बौद्ध धर्म कि जन्मभूमि है और यहीं से पूरे विश्व में शांन्ति और सध्भाव का सन्देश दिया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि भारत वह स्थान है जहां से बौद्ध धर्म फैला है और शांति भी यहीं से दुनिया के कोने-कोने में फैलेगी.

आईएमएफ के कन्वीनर सतनाम सिंह संधू ने कहा, “आज के शांति सम्मेलन में सभी धर्मों के आध्यात्मिक नेताओं और उपदेशको ने हिस्सा लिया, जिसमें बौद्ध समुदाय के भिक्षु, अनुयायी और विद्वान शामिल थे, जिन्होंने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को वैश्विक स्तर पर ले जाने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की सराहना की।” उन्होंने कहा कि सभी आध्यात्मिक नेताओं ने अल्पसंख्यक समुदायों के कल्याण के लिए किए गए कार्यों के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद दिया, जो ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के माध्यम से सभी को एक साथ लेकर चल रहे हैं

 

इंडियन माइनॉरिटी फाउंडेशन के कन्वीनर सतनाम सिंह संधू ने इस अवसर पर कहा कि आईएमएफ शांति और सद्भाव स्थापित करने के मार्ग पर चल रहा है l आईएमएफ समाज में सांप्रदायिक सद्भाव, शांति और राष्ट्रीय गौरव की भावना को बढ़ावा देता है l उन्होंने  कहा कि दुनिया युद्ध, आतंकवाद और विभिन्न प्रकार की हिंसा जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है उन्होंने कहा कि पहले विश्व युद्ध से लेकर आज तक लगभग 150 से ज़्यादा छोटे-बड़े युद्ध हुए हैं  जिनमें 100 करोड़ लोग मारे गए हैं। हर साल 1 लाख से अधिक लोग हिंसा में मारे जाते हैं। लेकिनभारत ने हमेशा दुनिया में एकता, शांति और सद्भाव का सन्देश दिया है। शांति और सद्भाव का महत्व इसी बात से लगाया जा सकता है कि सम्राट अशोक और सम्राट कनिष्क ने युद्ध और हिंसा का मार्ग शांति का मार्ग अपनाया lभारतीय अल्पसंख्यक फाउंडेशन भी प्रेम, शांति और सद्भाव को बढ़ावा देता है और सभी के बीच एकता की भावना पैदा करने के लिए काम करता है।

विश्व शांति एवं सद्भाव के उद्देश्य से लेह, लद्दाख में शांति पद यात्रा, तथा शांति सम्मलेन संपन्न हुआ। एमआईएमसी के संस्थापक और अध्यक्ष भीखू संघसेना ने कहा ” हम ने इस शान्ति वार्ता के दौरान शांन्ति के प्रचार के अपने उदेश्य को सफतलापूर्वक हासिल किया है। इस वार्ता में शामिल विभिन्न देशों के लोग अब दुनिया भर में शांतिदूत बनकर कर प्रेम और शांति का प्रचार करेंगे।  आज यहाँ पर जो शान्ति संकल्प लिया गया है वो विश्व के विकास के लिए अति महत्वपूर्ण है”।

लेह-लद्दाख में ईसाई समुदाय के अध्यक्ष सोनम परवेज़ ने अल्पसंख्यकों के बीच अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ विश्व शांति को बढ़ावा देने के लिए लद्दाख का दौरा करने के लिए इंडियन माइनॉरिटी फाउंडेशन (आईएमएफ), विशेष रूप से सतनाम सिंह संधू के प्रति आभार व्यक्त किया, खासकर जब दुनिया मुश्किल दौर से गुजर रही है।

 

उन्होंने कहा, “दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते भारत पर शांति स्थापित करने की विशेष जिम्मेदारी है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत दूसरे देशों के साथ संबंध बनाने, दुनिया में पैदा हो रही समस्याओं का समाधान देने और शांति स्थापित करने के प्रयास कर रहा है. समस्याओं के समाधान और शांति स्थापित करने के लिए युद्ध के बजाय बातचीत द्वारा समाधान करे पर पीएम मोदी के विश्वास की पूरी दुनिया ने सराहना की है।” उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान सरकार सीमाओं पर प्रभावी रही है।  उन्होंने विशेष रूप से लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाकर लद्दाख के लोगों की मांगों का ध्यान रखा है। उन्होंने सरकार से लद्दाख के जनजातीय लोगों की सुरक्षा के लिए कार्यक्रम निर्धारित करने का आग्रह भी किया।

 

अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के निदेशक रवींद्र पंथ ने पीएम मोदी के इस बयान पर समर्थन जताया कि भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं, बल्कि बुद्ध दिया है. उन्होंने कहा, ”पीएम मोदी दुनिया भर में भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का प्रचार कर रहे हैं और सभी के बीच विश्व शांति और सद्भाव का संदेश दे रहे हैं। दिल्ली में पीएम मोदी द्वारा आयोजित वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन 2023 ने बौद्ध धर्म के महत्व और विश्व शांति को बढ़ावा देने और स्थापित करने में इसकी शक्ति को साबित किया। आंतरिक शांति प्राप्त करने के लिए धार्मिक मूल्यों का ज्ञान, अभ्यास और अहसास महत्वपूर्ण है। जब तक हमारे भीतर शांति नहीं होगी, हम चारों ओर शांति नहीं बना सकते।”

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