न्यू यॉर्क में वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए बहुधार्मिक समुदाय के नेता हुए एकजुट
मोहाली 21 जून (गीता)। इंडियन माइनॉरिटीज फाउंडेशन (आईएमएफ) ने 20 जून को न्यूयॉर्क मेमोरियल एंड म्यूजियम में एक विशेष श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया, ताकि आतंकवादी हमलों में मारे गए लोगों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी जा सके।
आईएमएफ के संस्थापक सतनाम सिंह संधू के नेतृत्व में आईएमएफ के प्रतिनिधि ने न्यूयॉर्क स्मारक और संग्रहालय में 11 सितंबर, 2001 के आतंकवादी हमलों के पीड़ितों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। सतनाम सिंह संधू का मानना है कि भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज भारत को एक ऐसे सशक्त एवं आक्रामक देश के रूप में जाना जाता है जो आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाया है।
वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 9/11 के हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने आए लोगों द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि हम दुनिया के किसी भी हिस्से में हो रही किसी भी प्रकार की हिंसा एवं आतंकवाद की कड़ी निंदा करते हैं। यह एक अमानवीय कृत्य है और इसे समाज से पूरी तरह से खत्म कर देना चाहिए। आतंकवाद मानवता के लिये हानिकारक है।
प्रतिनिधिमंडल में सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधि, भारतीय प्रवासी के प्रमुख सदस्य, राजनेता, शिक्षाविद, नोबेल पुरस्कार विजेता और सामाजिक हस्तियां और पीड़ित परिवारों के सदस्य भी शामिल हुए और वहां मौजूद लोगों के साथ अपना दुख साझा किया। इतना ही नहीं हमले में बचे कुछ लोगों ने भी इस कार्यक्रम में शिरकत की। आतंकवाद की निंदा करते हुए, उन्होंने विश्व नेताओं से आतंकवाद विरोधी गतिविधियों में शामिल न होने और दुनिया को शांति और समृद्धि की ओर ले जाने का आह्वान किया।
आईएमएफ के संयोजक सतनाम सिंह संधू के नेतृत्व में शांति मार्च मंगलवार को ही निकाला गया क्योंकि 11 सितंबर 2001 का हमला भी मंगलवार को हुआ था। यह 21 जून से शुरू होने वाली यूएसए की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजकीय यात्रा के मौके पर आयोजित किया गया था। पीएम मोदी पहले ही यूएसए पहुंच चुके हैं। सतनाम सिंह संधू ने कैथरीन एलार्ड को सम्मान पुरस्कार दिया, जो ट्यूसडे चिल्ड्रन की कार्यक्रम प्रबंधक हैं।
दर्शन सिंह धालीवाल, एक अमेरिकी-आधारित व्यवसायी और परोपकारी, जिन्हें इस वर्ष की शुरुआत में प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया गया था, जो भारत सरकार द्वारा विदेशों में बसने वालों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है, वह भी इस शांति मार्च का हिस्सा थे। मूल रूप से पटियाला के रहने वाले धालीवाल ने यह भी कहा कि पिछले नौ वर्षों में सिख समुदाय के लिए किए गए कार्यों के लिए वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आभारी हैं। उनसे पहले किसी भी प्रधानमंत्री ने सिख समुदाय के लिए इतना बड़ा काम नहीं किया।करतारपुर कॉरिडोर को खोलना और लंगर वस्तुओं पर जीएसटी माफ करने के जैसे बेहतरीन कार्य किये हैं।
अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक अध्यक्ष परम पावन डॉ. आचार्य लोकेश मुनि ने कहा, “जैसा कि हम सभी हमलों के केंद्र में एकत्र हुए हैं, आइए हम सब मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का संकल्प लें और दुनिया में शांति और सद्भाव की स्थापना के लिए एकजुट होकर काम करें।
एक वैश्विक आध्यात्मिक और सामाजिक सेवा संगठन के आचार्य अभिरामानंद अवधूत ने भी सभी अल्पसंख्यक समुदायों का समर्थन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की। उन्होंने कहा “मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि नरेंद्र मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं जो देश के सभी अल्पसंख्यक समुदायों का समर्थन करते हैं। हम कामना करते हैं कि वह अल्पसंख्यक समुदायों के उत्थान और बेहतर दुनिया की दिशा में काम करने के अपने मिशन को आगे बढ़ाएंगे।
52 साल से अमेरिका में रह रहे बाबू काफलन ने भारत में मुसलमानों का समर्थन करने और उनकी बेहतरी के लिए काम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत में मुसलमानों के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। विश्व योग समुदाय के संस्थापक और संयुक्त राष्ट्र वैश्विक संचार विभाग (डीजीसी) के एनजीओ प्रतिनिधि, गुरु दिलीपकुमार थंकप्पन ने कहा, “जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में आए हैं, वह सभी समुदायों के बीच की खाई को पाटने का काम कर रहे हैं।
सतनाम सिंह संधू ने कहा कि यह पीएम मोदी द्वारा आतंकवाद के खिलाफ उठाए गए साहसिक और निर्णायक रुख का नतीजा है कि भारत को न केवल रक्षात्मक देश के रूप में बल्कि एक आक्रामक देश के रूप में जाना जाता है। विश्व स्तर पर भारत की छवि अब बदल गई है । अब भारत को एक ऐसे देश के रूप में देखा जा रहा है जो आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाता है।