‘एकम् सनातन भारत दल’ का सरकार के खिलाफ हल्ला-बोल: मंदिरों पर से नियंत्रण छोड़ने की चेतावनी, राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा- एंटी हिंदू रवैया नहीं चलेगा

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Ekam Sanatan Bharat Dal: नवगठित राजनीतिक संगठन ‘एकम् सनातन भारत दल’ ने सरकार को मंदिर और मठों से अपना नियंत्रण छोड़ने को कहा है. ‘एकम् सनातन भारत दल’ ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो फिर देशभर में बड़ा आंदोलन किया जाएगा. बतादें कि, सोमवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर ‘एकम् सनातन भारत दल’ के तमाम पदाधिकारियों और बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में माता वैष्णों देवी से जुड़े बारीदार समुदाय के साथ विभिन्न हिंदू संप्रदाय के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया।

जबकि इससे पहले 18 जून को दिल्ली स्थित ‘एकम् सनातन भारत दल’ के मुख्यालय में जनरल बॉडी की एक अहम बैठक भी हुई थी। जिसमें देशभर से विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से पहुंचे पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। बैठक में मंदिर और मठों को सरकारी नियंत्रण से छुड़वाने और सनातन के अन्य मूल्यों को ध्यान में रखकर संगठन विस्तार और आगामी चुनावों की रूप-रेखा तय की गई।

एकम् सनातन भारत दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष और एडवोकेट अंकुर शर्मा ने कहा कि मंदिर और मठों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किए जाने की मांग हिंदू समाज द्वारा काफी समय की जा रही है लेकिन अब इस मांग को और तेज व मजबूत करने का समय आ गया है। मंदिर और मठों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करवाने हेतु एकम् सनातन भारत दल के कार्यकताओं द्वारा पूरे देश में आंदोलन किया जाएगा। शर्मा ने चेतावनी दी कि, अगर सरकार नहीं मानेगी तो फिर देशभर में बड़ा आंदोलन होगा। शर्मा ने कहा कि, सरकार को एंटी हिंदू होने का रवैया छोड़ना चाहिए।

एकम् सनातन भारत दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अंकुर शर्मा का कहना है कि, जब मस्जिद और चर्च पर सरकार का नियंत्रण नहीं है तो फिर सरकार हिंदू मंदिर पर नियंत्रण का जिद क्यों पाले हुए है? यह संविधान में वर्णित समानता के सिद्धांत के भी विरुद्ध है। स्वतंत्रता के बाद से ही हिंदू समाज के साथ दोयम दर्जे का बर्ताव किया जा रहा है, जी अक्षम्य है।

अंकुर शर्मा ने आगे कहा कि, सरकार की गतिविधियां देखते हुए ही एकम् सनातन भारत दल का गठन किया गया है। जिसका उद्देश्य हिंदुओं को संवैधानिक अधिकार दिलाने का है। एकम् सनातन भारत दल ने अपने सप्त-संकल्प में यह साफ साफ स्पष्ट कर दिया गया है कि अब हिंदुओं के साथ कोई भी भेदभाव स्वीकार नहीं किया जाएगा।

शर्मा ने आगे कहा कि, अंग्रेजों के बनाए कानून को स्वतंत्रता के बाद से ही सभी सरकारों ने न केवल और भी अधिक मजबूत किया, बल्कि इसमें उत्तरोत्तर वृद्धि ही की है। खुद को हिंदूवादी कहने वाली भाजपा सरकार ने भी उत्तराखंड के चार धामों पर नियंत्रण कर यह साबित किया है कि वह हिंदुओं के मंदिरों मठों को लूटने में अंग्रेजों और कांग्रेस के ही राह पर चल रही है। मंदिर के संचालनों के नाम पर सरकार ने मंदिरों पर कब्जा किया हुआ है।

वहीं, इस अवसर पर एकम् सनातन भारत दल के राष्ट्रीय महासचिव संदीप देव ने कहा कि भारत के अधिकतर बड़े मंदिरों का संचालन आज विभिन्न सरकारों की ओर से किया जाता है। भारत के करीब 4 लाख मंदिरों पर सरकारों का कब्जा है। इससे होने वाली आय पर भी सरकार का अधिकार है। यह पूरी तरह से अनैतिक, अनुचित और असंवैधानिक है। संदीप देव के अनुसार, देश में किसी भी मस्जिद और चर्च के संचालन में सरकार की कोई भूमिका नहीं है फिर मंदिर ही सरकार के कब्जे में क्यों रहें ? यह बहुत बड़ा प्रश्न है और अब समय आ गया है कि मंदिरों और मठों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराया जाए।

हरिद्वार में हुआ था प्रथम अधिवेशन

ध्यान रहे कि, हाल ही में हरिद्वार में ‘एकम् सनातन भारत दल’ का प्रथम अधिवेशन हुआ था। जिसमें शामिल होने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से लोग पहुंचे थे और इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने ‘एकम् सनातन भारत दल’ का दामन थामा था। वहीं ‘एकम् सनातन भारत दल’ के प्रथम अधिवेशन में ही वो सात संकल्प भी सामने ला दिए गए थे। जो कि दल के प्रमुख मुद्दे हैं।

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